Book Title: Pravachansara
Author(s): Kundkundacharya, A N Upadhye
Publisher: Manilal Revashankar Zaveri Sheth

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Page 595
________________ . (8) अर्धी कीमत ... अर्धी कीमत श्रीमदराजचन्द्र मेरे जीवनपर मुख्यतासे श्रीमद् राजचन्द्रकी छाप पड़ी है। महात्मा टॉल्स्टाय और / रस्किनकी अपेक्षा भी श्रीमद्राजचन्द्रने मुझपर गहरा प्रभाव डाला है ।—महात्मा गाँधी / आ पुस्तकमां श्रीमद्राजचन्द्रनी हयातीमां तेओश्रीने जुदे जुदे प्रसंगे मुमुक्षुभाईओ, सजनों अने मुनिश्रीओ वगेरे तरफथी भिन्न भिन्न विषयो. प्रत्ये पुछेला सवालोना जवाबना पत्रोना संग्रह तथा बाल्यावस्थामां रचेला भावनाबोध, मोक्षमाला, आत्मसिद्धि ग्रंथोंनो संग्रह छे, श्रीमदनी सोळ वर्ष पहेलानी वयथी देहोत्सर्ग पर्यन्तना विचारोनो आ भव्य ग्रन्थमां संग्रह छे, जैनतत्त्वज्ञाननो महान ग्रंथ छे. जैनतत्त्वज्ञाननो उंडो अभ्यास समजवा माटे आ ग्रंथ खास उपयोगी छे. आ ग्रंथनी प्रथमावृत्ति वेचाई गई छे. प्रजानी उत्सुकतादि संतोषवा अर्थे नवी बीजी आवृत्ति संशोधनपूर्वक बहार पाडी छे. अने तेनी अंदर श्रीमद्ना अप्रगट लखाणो पण दाखल करवामां आव्या छे. ग्रंथारंभमां महात्मा गांधीजीए लखेली महत्त्वपूर्ण प्रस्तावना छे / आ पुस्तक सारामां सारा कागळ ऊपर सुप्रसिद्ध निर्णयसागर प्रेसनी अन्दर खास तैयार करावेला देवनागरीमा छपाव्युं छे. सुन्दर बाईडिंगथी सुशोभित छे. दरेक ग्रन्थभंडार, लाईब्रेरीमा राखवा योग्य छे, तेमज साधु, साध्वी, श्रावक, श्राविकाओने खास वाचवा लायक अने मनन करवा योग्य आ महान ग्रन्थ छे. रॉयल चार पेजी साइजना 825 पृष्ठवाला दळदार ग्रन्थना बे भागनुं मूल्य फक्त 5 पांच रुपया, लागतमात्र थी अर्धा राखेला छ। 5 चित्र छे। . भावनाबोध आ ग्रंथना कर्ता उक्त महापुरुषज छ, वैराग्य ए आ ग्रंथनो मुख्य विषय छे, पात्रता पामवानुं अने कषायमल दूर करवानुं आ ग्रंथ उत्तम साधन छ, आत्मगवेषीओने आ ग्रंथ आनंदोल्लास आपनार छे, आ ग्रंथनी पण आ त्रीजी आवृत्ति छे, आ बन्ने ग्रंथों खास करीने प्रभावना करवा सारू अने पाठशाला, ज्ञानशाला,, तेमज स्कूलोमा विद्यार्थियोंने विद्याभ्यास करवामाटे अति उत्तम छे, अने तेथी सर्व कोई लाभ लई शके, ते माटे गुजराती 'भाषामां अने बालबोध टाईपमां छपावेलुं छे / मूल्य सजिल्दनुं फक्त चार आना / ) रिपोर्ट प. प्र. मं. नी सं. 1973 थी. सं 1988 सुधीनो रिपोर्ट मफत मलशे, जे भाइओने जोइये, ते मंगावी लेशो। -- सब ग्रंथ मिलनेका पता:मणीलाल, रेवाशंकर जगजीवन जौहरी ऑ० व्यवस्थापक-श्रीपरमश्रुतप्रभावक मंडल. (श्रीरायचन्द्रजैनशास्त्रमाला ) खारा कुवा, जौहरीबाजार, बम्बई नं० 2 .

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