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नभचर जीवों का वध
आसालिक, बेइन्द्रिय तिर्यचों में भी होता है, किन्तु वह दूसरा है। प्रस्तुत वर्णन पंचेन्द्रिय आसालिक सम्बन्धी है।
महोरग के विषय में टीकाकार लिखते हैं कि यह सर्प बहुत लम्बा होता है। यह मनुष्य-क्षेत्र के बाहर होता है और एक हजार योजन लम्बा होता है।
. भुजपरिसर्प जीवों की हिंसा छीरल-सरंब-सेह-सेल्लग-गोधा-उंदुर-णउल-सरड-जाहगमंगुस-खाडहिलवाउप्पिय घिरोलिया सिरीसिवगणे य एवमाई।
शब्दार्थ - छीरल - क्षीरल, सरंब - शरम्ब, सेह - जिसके शरीर पर कांटे के समान बड़े-बड़े . बाल होते हैं, सल्लग - शल्यक, गोधा - गोह, उंदुर - चूहा, णउल - नकुल-नेवला, सरड - . गिरगिट, जाहग - इसके शरीर पर कांटे होते हैं, मंगुस - गिलहरी, खाडहिल - छछुन्दर, वाउप्पिय - वातोत्पतिक, घिरोलिया - घिरोलिक-छिपकली, सिरी-सिंवगणे - सरीसृप-भुजपरिसर्प जाति, एवमाई - इत्यादि। .
विवेचन - भुजपरिसर्प जाति के चतुष्पद तिर्यंच जीवों के कुछ भेद इस पाठ में दिये गये हैं।' हिंसक लोग इन जीवों की हिंसा करते हैं।
नभचर जीवों का वध कादंबक-बक-बलाहक-रगरस-आडा-सेतीय-कुलल-वंजुल-पारिप्पव-कीरसउण-दीविय-हंस-धत्तरिट्ठग-भास-कुलीकोस-कुंच-दगतुंड-ढोणिया-लग-सुईमुहकविल-पिंगलक्खग-कारंडग-चक्कवाग-उक्कोस-गरुल-पिंगुल-सुय-बरहिणमयण-साल-णंदीमुह-णंदमाणग-कोरंग-भिंगारग-कोणालग-जीवजीवग-तित्तिरवट्टग-लावग-कपिंजलग-कवोतग-पारेवग-चडग-ढिंक-कुक्कुड-वेसर-मयूरगचउरगु-हय पोंडरीय-करकरग-चीरल्ल-सेण-वायस-विहग-सेण-सिणचास-वग्गुलिचम्मट्ठिल-विययपक्खी-समुग्गपक्खी खहयर-विहाणाकए य एवमाई।
शब्दार्थ - कादम्बक - हंस की एक जाति, बक - बगुला, बलाहक - एक प्रकार का बगुला, सारस - प्रसिद्ध पक्षी, आडा-सेतीय-कुलल - ये 'जल-पक्षी हैं, वंजुल - वंजुल, परिप्पव - परिप्लव, कीर - तोता, सउण - शकुन-तीतर, दीविय - दीपिका-देवी नाम की काली चिड़िया, हंस - प्रसिद्ध पक्षी, धत्तरिट्ठग - काली चोंच वाला-धार्तराष्ट्र हंस, भास - भासक, कुलीकोस - कुटीक्रोश
'वाउप्पिय' शब्द के स्थान पर कुछ प्रतियों में 'चाउप्पाइय' - चातुष्पदिकःशब्द है।
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