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मरिच
मध्यम
दत्त
अङ्गार
पक्व
( १८ )
मिरिश्र
मज्झिम
दिण्ण
इंगार, अंगार
पिक्क, पक्क णिडाल, गडाल
ललाट
( पालि भाषा में भी 'अ' को 'इ' होता है । देखिये - पा० प्र० पृष्ठ
I
५२-अ=इ । )
'अ' को 'ई' "
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हर-हीर,
'अ' को 'उ' "
ध्वनि
झुणि
कृतज्ञ
कयण्णु
( पालि भाषा में भी 'अ' को 'उ' होता है। देखिये -पा० प्र०
पृ० ५२-अ = उ )
हर सं० हीर
'अ' को 'ए'
एत्थ
सेज्जा
वेल्ली सं० वेल्लि ।
कन्दुक
गेंदु
सं०४ गेन्दुक, गिन्दुक ।
( पालि भाषा में भी '' को 'ए' होता है । देखिये - पा० प्र० पृ० ५२ - = ए )
अञ
शय्या
वल्ली
१. हे० प्रा० व्या० ८|१|१| २. हे० प्रा० व्या० ८/१/५२, ५३, ५४, ५५, ५६ । ३. हे० प्रा० व्या० ८ १५७, ५८, ५६, ६० । ४. सं० संस्कृत भाषा ।
पालि सेय्या
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