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नहीं केवल वही आदमी जो ज्यादा जानता नहीं, केवल वही आदमी जो सजग नहीं है बिना भ्रम के रह सकता है।
एक असली सजग आदमी तो देखेगा, झिझकेगा - हर कदम पर झिझकेगा- क्योंकि कुछ भी निश्चित नहीं है। लाओत्सु कहता है, 'विवेकशील व्यक्ति बहुत ध्यान पूर्वक चलता है, जैसे कि हर कदम पर मृत्यु का भय हो।'
एक विवेकशील व्यक्ति सजग हो जाता है भ्रांति के प्रति यह है पहला चरण और फिर आता है दूसरा चरण. जब विवेकशील आदमी इतना बोधपूर्ण हो जाता है कि सारी ऊर्जा प्रकाश बन जाती है, तो अ वही ऊर्जा जो भांति निर्मित कर रही थी और भ्रांति में व्यय हो रही थी, बचती ही नहीं; वह विलीन हो जाती है। सारी भ्रांति मिट जाती है अचानक एक नई सुबह होती है होता है, तो ध्यान रहे कि सुबह करीब होती है लेकिन तुम भाग सकते हो।
और जब अंधकार बहुत ज्यादा
'आपने मुझे पूरी तरह अमित. '
बिलकुल ठीक है बात, यही तो मैं कर रहा हूं। तुम्हें इसके लिए धन्यवाद देना चाहिए ।
... और सुस्त बना दिया है।'
ही यह भी ठीक है क्योंकि मैं जानता हूं स्वभाव को वह रजोगुणी प्रकृति का है बहुत ज्यादा सक्रिय। जब वह पहले—- पहले आया मुझ से मिलने तो पूरा भरा हुआ था ऊर्जा से। अति सक्रियरजोगुणी प्रकृति का था। अब ध्यान और समझ उसकी सक्रियता को मध्यम सुर तक संतुलित अवस्था तक ला रहे हैं। एक रजोगुणी व्यक्ति जब संतुलित हो रहा होता है, तो वह सदा अनुभव करेगा कि वह सुस्त हो रहा है। यह उसका दृष्टिकोण होता है। वह सदा अनुभव करेगा कि कहां चली गई उसकी ऊर्जा? वह सुस्त हो गया है। क्या हो रहा है उसे? वह यहां आया था बड़ा योद्धा बनने के लिए और सारे संसार को जीत लेने के लिए, और मैं कुल इतना ही कर रहा हूं कि उसे अति सक्रियता से, व्यर्थ की भाग-दौड़ से वापस लौटा रहा
पश्चिम में तुम्हारे पास एक कहावत है कि खाली मन शैतान का घर है इसे गढ़ा है रजोगुणी व्यक्तियों ने यह सच नहीं है, क्योंकि खाली मन घर है परमात्मा का शैतान वहां काम नहीं कर सकता, क्योंकि खाली मन में शैतान बिलकुल प्रवेश ही नहीं कर सकता। शैतान तो केवल सक्रिय मन में प्रवेश कर सकता है तो खयाल में ले लेना इसे रजोगुणी मन घर है शैतान का अति सक्रियता है, तो तुम्हारी सक्रियता का शैतान फायदा उठा सकता है।
तुमने दो विश्वयुद्ध देखे हैं। वे रजोगुणी व्यक्तियों की देन हैं। यूरोप में जर्मनी रजोगुणी है, बहुत ज्यादा सक्रियता है। पूरब में जापान रजोगुणी है, बहुत ज्यादा सक्रियता है। और ये दोनों स्रोत बन गए दूसरे विश्वयुद्ध की सारी मूढ़ताओं के बहुत ज्यादा सक्रियता !