________________
दौड़ते रहते हैं जहां-तहां, कोनों में धूल इकट्ठी है। और अचानक मैं दीया लिए आ जाता हूं तुम्हारे कमरे में। तो तुम कहते हो, 'बुझाइए अपना दीया, क्योंकि आप गंदा किए दे रहे हैं मेरा कमरा। यह ऐसा कभी न था; अंधेरे में हर चीज कैसी सुंदर थी!'
मैं कैसे तुम्हें भ्रमित कर सकता हूं? मैं यहां तुम्हारी सारी भ्रांति मिटाने के लिए हूं। लेकिन मिटाने की इस प्रक्रिया में पहला चरण यही होगा कि तुम्हें अपनी भ्रांति के प्रति सजग होना होगा। यदि तुम्हारा कमरा साफ किया जाना है, तो पहला काम यही होगा कि कमरे को वैसा देखा जाए जैसा कि वह है; अन्यथा कैसे तुम साफ करोगे उसे? यदि तुम मानते हो कि वह साफ ही है-और जो धूल के ढेर वहां जम चुके हैं उनका तुम्हें कभी पता ही नहीं चला अंधेरे में, और मकडिया क्या-क्या चमत्कार करती रहीं तुम्हारे कमरे में, और कितने सांप-बिच्छु अपने घर बना चुके हैं वहा–यदि तुम अंधेरे में गहरी नींद सोए रहते हो, तब तो कोई समस्या ही नहीं है। समस्या केवल उसी आदमी के लिए है जिसकी बुद्धि विकसित हो रही है।
इसलिए जब तुम मेरे पास आते हो और मुझे समझते हो तो पहली बात, पहला सामना होगा भ्रांति से। अच्छा लक्षण है यह। ठीक मार्ग पर हो तुम, बढ़ते चलो। चिंता मत करना। यदि भ्रांति है, तो स्पष्टता भी संभव है। यदि तुम भ्रांति को नहीं देख सकते, तब कोई संभावना नहीं है स्पष्टता की। बस इसे देखो. कौन कह रहा है कि तुम भ्रमित हो। भ्रमित मन तो यह भी नहीं कह सकता कि 'मैं भ्रमित हूं।' तुम एक ओर खड़े एक द्रष्टा मात्र हो-तुम भ्रांति को अपने चारों ओर छाया देखते हो, धुएं की भांति। लेकिन यह कौन है जो देख रहा है कि भांति है? सारी आशा इसी बात में निहित है कि तुम्हारा एक हिस्सा–निश्चित ही बहुत छोटा हिस्सा, लेकिन वह भी काफी है शुरू में तुम्हें सौभाग्यशाली अनुभव करना चाहिए कि तुम्हारा एक हिस्सा ध्यान दे सकता है और देख सकता है सारी भ्रांति को। अब इसी हिस्से को और बढ़ने देना। भ्रांति से भयभीत मत हो जाना; अन्यथा तुम इस हिस्से को दबाने में लग जाओगे कि यह फिर से सो जाए ताकि तुम फिर से सुरक्षित अनुभव कर सको।
मैं स्वभाव को बहुत पहले से जानता हूं। वह भ्रमित नहीं था, यह सच है क्योंकि वह पूरी तरह मूढ़ था। वह हठी था, जिद्दी था। वह करीब-करीब 'सब कुछ' जानता था, बिना जाने हुए! अब पहली बार उसका एक हिस्सा बुद्धिमान, सचेत, सजग हो रहा है; और वह हिस्सा देख रहा है आस-पास चारों तरफ : वहा भांति ही भ्रांति है।
सुंदर है यह बात। अब दो संभावनाएं हैं : या तो तुम इस हिस्से की सुनते हो जो कह रहा है कि सब भ्रमित है, और तुम इसे विकसित करते हो-यह एक प्रकाश-स्तंभ बन जाता है। और उस प्रकाश में सारे उलझाव विलीन हो जाएंगे। या फिर तुम घबड़ा जाते हो और भयभीत हो जाते हो -तुम भागना शुरू कर देते हो इस हिस्से से जो कि सजग हो चुका है, तुम इसे फिर से धकेलना शुरू कर देते हो अंधेरे में। तब तम फिर से ज्ञानी हो जाओगे. जिददी, हठी, हर चीज एकदम साफ-सुथरी, कोई उलझाव