________________
[
७
]
२३०
२५० २८७
.
"
२९६
५४. भुवनदेवता की स्तुति ।
२२९ ५५. क्षेत्रदेवता की स्तुति । ....
२२९ ५६. सकलार्हत् स्तोत्र । [ चार निक्षेपों का अर्थ ।
२३१ ५७. अजित-शान्ति स्तवन । ५८. बृहत् शान्ति । .... [बृहत् शान्ति को ग्रन्थान्तर का एक प्रकरण-विशेष
होने का प्रमाण ।] ५९. संतिकर स्तवन । .... ६०. पाक्षिक अतिचार ।
३०३ चैत्य-वन्दन-स्तवनादि ।
३२१ दूज का चैत्य-चन्दन। पञ्चमी का चैत्य-वन्दन ।
३२२ अष्टमी का चैत्य-वन्दन । एकादशी का चैत्य-चन्दन। ... सिद्धचक्र जी का चैत्य-वन्दन ।
३२४ पर्युषण का चैत्य-चन्दन ।
३२५ दिवाली का चैत्य-वन्दन ।। दूज का स्तवन ।
३२६ पञ्चमी का स्तवन। अष्टमी का स्तवन ।
३२८ एकादशी का स्तवन।
३२४ सिद्धचक्र ( नवपद) जी का स्तवन ।
३३१ पर्युषण पर्व का स्तवन ।
३३२ दिवाली का स्तवन ।
३३३ सम्मेतशिखर का स्तवन ।
३३४ Jain Education International For Private & Personal Use Only "www.jainelibrary.org
३२७