Book Title: Nandanvan Kalpataru 2007 00 SrNo 19
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti
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प्रथमैकवचनान्तपदैः श्रीचिन्तामणिपाष्टिक स्तोत्रम् श्रीमद्विजयनेमिसूरीश्वरशिष्यः प्रवर्तकमुनिश्रीयशोविजयः
श्रीचिन्तामणिपार्श्वनाथममरस्तुत्यक्रमाम्भोरुहं, दर्पोद्दामकरीन्द्रकुम्भदलनप्रख्यातकण्ठीरवम् । क्रोधक्रूरभुजङ्गगर्वगिलनश्रीवैनतेयोपम, स्तोष्येऽहं प्रथमान्तशब्दनिवहैरेकत्वसंराजितैः ॥१॥
(पृथ्वीच्छन्दः) जयत्यखिलख्नेचरप्रखरमौलिरतप्रभाप्रभासितपदाम्बुजप्रचलरेणुपुञ्जेन्दिरः । निरस्तजनमानसप्रभवदर्पकाडम्बरः, प्रभूतकरुणारसप्रसरणः स चिन्तामणिः ॥२॥
जयत्यतुलविक्रमप्रहतमानमायानलप्रजातमवरोगकप्रशमनप्रजाताक्षरः । विपद्ब्रजधराधरोद्दलनवज्रपातस्मृतिः, प्रभूतकरुणारसप्रसरणः स चिन्तामणिः ॥३॥
जयत्ययभरोद्भवत्प्रबलदुःखदावानलप्रदनभविमानसप्रशमदानधाराधरः । विमुद्रनवमल्लिकाकुसुममित्रकीर्तिव्रजः, प्रभूतकरुणारसप्रसरणः स चिन्तामणिः ॥४॥
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