Book Title: Kalpasutra
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra कल्पसूत्र ||| 2 11 www.kobatrth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुरिस-सीहाणं, पुरिसवर पुंडरीआणं, पुरिसवर - गंधहत्थीणं, लोगुत्तमाणं, लोगनाहाणं, लोगहिआणं, लोगपईवाणं, लोग पज्जोअगराणं, अभयदयाणं, चक्खुदयाणं, मग्गदयाणं, | सरणदयाणं, जीवदयाणं, बोहिदयाणं धम्मदयाणं, धम्मदेसयाणं, धम्मनायगाणं, * धम्मसारहीणं, धम्मवर चाउरं तचक्कवट्टीणं, दीवो ताणं सरणं गई पइठ्ठा, | अप्पsिहय - वर-नाण- दंसण-धराणं, विअट्ट-च्छउम्माणं, जिणाणं, जावयाणं, तिन्नाणं, तारयाणं, बुद्धाणं, बोहयाणं, मुत्ताणं, मोअगाणं, सव्वन्नूणं, सव्वदरिसीणं, सिव-मयल-मरुअ-मणंत- मक्खय-मव्वाबाह-मपुणरावित्ति - सिद्धिगइ - नामधेयं, ठाणं सम्पत्ताणं, नमो जिणाणं जिअ भयाणं । नमुत्थु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स आइगरस्स चरमतित्थयरस्स पुव्वतित्थयर - निद्दिठ्ठस्स जाव सम्पाविउ - कामस्स । वंदामि णं भगवन्तं तत्थगयं इह गए, पासउ मे भगवं तत्थ गए इह गयं त्ति कट्टु, समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता सीहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहे सन्निसन्ने, तए णं तस्स सक्कस्स देविन्दस्स देवरन्नो अयमेयारूवे अब्भत्थिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था || सू. १४ - १५ ।। (चित्र नं. १ ) For Private and Personal Use Only 粥 淄 耀 類 मूळ चित्र नं. १. ॥ ८ ॥

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