Book Title: Kalpasutra
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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कल्पसूत्र
।। ७३ ॥
80000000880****80800000000
मासाहिअ-बायालीस-वास-सहस्सेहिं ऊणिआ इच्चाइ ||७||सू. १९८।। पउमप्पहस्स णं अरहओ जाव सव्व-दुक्ख-प्पहीणस्स दस सागरोवम-कोडि-सहस्सा विइक्ता, सेसं जहा सीअलस्स, तं च इमं-तिवास-अद्ध-नवम-मासाहिय-बायालीस-वास-सहस्सेहिं उणग| मिच्चाइ ॥६।।सू. १९९।। सुमइस्स णं अरहओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स एगे सागरोवमकोडि-सय-सहस्से विइक्ते, सेसं जहा सीयलस्स, तं च इम-तिवास-अद्ध-नवम - मासाहिय-बायालीस वास-सहस्सेहिं उणग-मिच्चाइ ।। ५ ।।सू. २००।। (चित्र नं. २९)
अभिनदंणस्स णं अरह ओ जाव सव्वद् क्खप्पहीणस्स दस | सागरोवम-कोडि-सय-सहस्सा विइक्कंता, सेसं जहा सीअलस्स, तं च इमं-तिवास अद्धनवम-मासाहिय-बायालीस-वास-सहस्सेहिं उणग-मिच्चाइ ॥४||सू. २०१।। संभवस्स णं अरहओ जाव सव्व-दुक्ख-प्पहीणस्स वीसं सागरोवम-कोडि-सय-सहस्सा विइक्ता, सेसं जहा सीअलस्स, तं च इम-तिवास-अद्ध-नवम-मासाहिय-बायालीस-वाससहस्सेहिं उणग-मिच्चाइ ||३||सू. २०२|| अजियस्स णं अरहओ जाव सव्व-दुक्खप्पहीणस्स पन्नासं सागरोवम-कोडि-सय-सहस्सा विइक्कता, सेसं जहा सीअलस्स, तं
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