Book Title: Kalpasutra
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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कल्पसूत्र
॥ ८६ ॥
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ढरस -गुत्तस्स इमाओ सत्त अंतेवासिणीओ अहावच्चाओ अभिण्णाओ जहाः - जक्खा १ य जक्खदिण्णा २ भूया ३ तह चेव भूय - दिण्णा य ४ । सेणा ५ | वेणा ६ रेणा ७ भइणीओ थूलभद्दस्स ॥१॥४७॥सू. ८|| थेरस्स णं अज्ज - थूलभद्दस्स गोयमस-गुत्तस्स इमे दो थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तंजहा-थेरे | अज्ज - महागिरी एलावच्चस - गुत्ते १ थेरे अज्ज - सुहत्थी वासिठ्ठस-गुत्ते २,१ । थेरस्स णं अज्ज - महागिरिस्स एलावच्चस - गुत्तस्स इमे अठ्ठ थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तं जहा - थेरे उत्तरे १, थेरे बलिस्सहे २, थेरे धणड्ढे ३, थेरे सिरिभद्दे ४, थेरे कोडिन्ने ५, थेरे नागे ६, थेरे नाग - मित्ते ७, थेरे छलूए रोहगुत्ते कोसिय-गुत्ते णं ८, २। ● थेरेहिंत्तो णं छलूएहिंतो रोहगुत्तेहिंतो कोसिय- गुत्तेहिंतो तत्थ णं तेरासीया निग्गया ३ ।
थेरेहिंतो णं उत्तर - बलिस्सहेहिंतो तत्थ णं उत्तर - बलिस्सहे नामं गणे निग्गए, तस्स णं * इमाओ चत्तारि साहाओ एव - माहिज्जंति, तं जहा - कोसंबिया १, सोइत्तिया २, कोडंबाणी
३, चंदनागरी ४, ४||८|| सू. ९ || थेरस्स णं अज्ज - सुहत्थिस्स वासिठ्ठस-गुत्तस्स इमे दुवालस थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तं जहा - थेरे अ अज्ज - रोहणे १
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