Book Title: Kalpasutra
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 94
________________ Shri Mahar Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kaliassaga suyanmandir कल्पसूत्र मूळ ॥ १०२॥ 逐該空空茲茲班卒瞭染率染球瞭難瞭瞭孤疼疼疼还应率应 -नो कप्पइ जाव उवस्सयाओ परंपरेणं संखडिं सन्नियट्ट-चारिस्स एत्तए ॥सू. २७|| वासावासं पज्जोसवियस्स नो कप्पइ पाणि-पडिग्गहियस्स भिक्खुस्स कणगफुसिय-मित्तमवि वुट्ठि-कायंसि निवयमाणंसि जाव गाहावइ-कुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ॥सू. २८ (२८०) || वासावासं पज्जोसवियस्स पाणि-पडिग्गहियस्स भिक्खुस्स नो कप्पइ अगिहंसि पिंडवायं पडि-गाहित्ता पज्जोसवित्तए, पज्जोसवेमाणस्स सहसा वुठ्ठिकाए निवइज्जा देसं भुच्चा देस-मादाय से | पाणिणा पाणिं परि-पिहित्ता उरंसि वा णं निलिज्जा कक्खंसि वा णं समा-हडिज्जा, अहा-छन्नाणि वा लेणाणि वा उवागच्छिज्जा, रुक्ख-मूलाणि वा उवागच्छिज्जा, जहा से तत्थ पाणिसि दगे वा दगरए वा दग-फुसिआ वा णो परि-यावज्जई ॥सू. २९।। वासावासं पज्जोसवियस्स पाणि-पडिग्गहियस्स भिक्खुस्स जं किंचि कणग-फुसियमित्तंपि निवडेइ, नो से कप्पइ गाहावइ-कुलं भत्ताए वा पाणाए निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ॥ सू. ३०॥ वासावासं पज्जोसवियस्स पडिग्गह-धारिस्स भिक्खुस्स नो कप्पइ वग्घारिय-वुठ्ठिकायंसि गाहावइ-कुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा| 球球球球球球直率率难瞭鄰鄰带盘辞瞭座座率率廊密密 ॥१०२॥ For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121