Book Title: Kalpasutra
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 118
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatram.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir सादर समर्पण 發與強強強強強競逐發發發發發發發發發發發發發發 महान तपोनिधि दादा पू. पंन्यास श्री मणिविजयजी गणिवरना शिष्यरत्न पूज्यपाद शासनशिरोमणि पंन्यास श्री बद्धिविजयजी (बटेरायजी) गणिवरना शिष्यरत्न विद्वान चारित्ररत्न पंन्यास श्री आणंदविजयजी गणिवरना शिष्यरत्न-बालब्रह्मचारी निस्पृहीशिरोरत्न मुनिमंडलाग्रेसर पूज्य मुनिराजश्री हर्षविजयजी महाराजाना शिष्यरत्न महानतपोनिधि पूज्य आचार्यदेव श्री विजय कपूरसूरीश्वरजी महाराजाना पट्टधर - पूज्यपाद प्रशान्तमूर्ति प्रकृष्टवक्ताः प्रवचनप्रभावक हालारदेशोद्धारक कविरत्न पू. आचार्यदेव श्री विजयामृतसूरीश्वरजी महाराजा जेओश्रीए श्री महावीर परमात्माना कल्याणकारी शासननो भव्यजीवोना हितने माटे प्रचार करतां अनेक पुन्यात्माओने अरिहंतशासनना रागी बनावी | मुक्तिमार्गना पथिक बनाव्या छे. ते साथे मने पण अज्ञान अने मिथ्यात्वना घेरा वमळ्मांथी खेंची, संसार पारावार पार पमाडवा भव्य यानपात्र सम संयमधर्ममा स्थापन कर्यो अने मारी संयमसाधनानी सफलता माटे अने सम्यग्ज्ञानादिना विकास माटे सतत हितचिंता सेवी छे. तेओश्रीना ए महान उपकारोनी स्मृतिमा यत्किचित् कृतज्ञता रूपे तेओश्रीने श्री कल्पसूत्र सादर वंदना साथे समर्पण करी कृत्कृत्यता अनुभवू छु. गुरुचरणचथचरिक जिनेन्द्रसूरि. |趣藝遊發發發發發發邊幾錢錢錢錢錢錢錢錢錢幾幾變變變變 For Private and Personal Use Only

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