Book Title: Kalpasutra
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 71
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmandir www.kabarth.org कल्पसूत्र ॥ ७९ ॥ 数数这项球球球球球賺賺賺賺球球球球球球球益蒂球球 | हुत्था ॥सू.२२४|| उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स दुविहा अंत-गड-भूमी हुत्था, मूळ तंजहा-जुगंत-गड-भूमी परियायंत-गड-भूमी य, जाव असंखिज्जाओ पुरिसजुगाओ | किा जुगत-गडभूमी, अंतो- मुहुत्त-परियाए अंतमकासी ।।सू. २२५।। (चित्र नं. ३४-३५) ३४-३५ ते णं काले णं ते णं समए णं उसभे णं अरहा कोसलिए वीसं पुव्वसय-सहस्साई कुमार-वासमज्झे वसित्ता तेवढेि पुव्व-सय-सहस्साइं रज्ज-वासमज्झे वसित्ता तेसीइं पुव्व-सय-सहस्साई अगार-वासमज्झे वसित्ता णं एगं वास-सहस्सं छउमत्थ-परिआयं पाउणित्ता, एगं पुव्व-सय-सहस्सं वास-सहस्सूणं केवलि-परिआयं पाउणित्ता पडिपुण्णं पुव्व-सय-सहस्सं सामण्ण-परियागं पाउणित्ता चउरासीइं पुव्व -सय-सहस्साइं सव्वाउयं पालइत्ता, खीणे वेयणिज्जा-उय-नाम-गुत्ते इमीसे ओसप्पिणीए सुसम-दुस्समाए समाए बहु-विइक्कंताए तिहिं वासेहिं अद्ध-नवमेहि य मासेहिं सेसे हिं, जे से हेमंताणं तच्चे मासे पंचमे पक्खे, माह-बहुले तस्स णं माह-बहुलस्स (ग्रंथानं ९००) तेरसी-पक्खे णं उप्पि अठ्ठावय-सेल-सिहरंसि दसहिं अणगार-सहस्सेहिं सद्धिं चोद्दसमेणं भत्तेणं अपाणएणं अभीइणा नक्खत्तेणं जोग 球球球部賺賺賺賺賺賺賺賺盡頭球球球球球聯 For Private and Personal Use Only

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