Book Title: Kalpasutra
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 70
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmandir www.kabatirth.org कल्पसूत्र मळ ७८॥ चउद्दस-पुव्वीणं अजिणाणं जिण-संकासाणं जाव उक्कोसिया चउद्दस-व्विणं संपया हुत्था ॥सू. २१७।। उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स नव सहस्सा ओहिनाणीणं उक्कोसिया ओहिनाणी-संपया हुत्था ।।स. २१८|| उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स वीस सहस्सा केवल-नाणीणं उक्कोसिया केवलनाणि-संपया हुत्था ।।सू.२१९।। उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स वीस सहस्सा छच्च सया वेउव्वियाणं उक्कोसिया वेउव्वि-संपया हत्था ॥सू. २२०|| उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स बारस सहस्सा छच्च सया | पण्णासा विउल-मईणं अड्ढाइज्जेसु दीवेसु दोसु य समुद्देसु सन्नीणं पंचिंदियाणं पज्जत्त-गाणं मणोगए भावे जाणमाणाणं पासमाणाणं उक्कोसिआ विउलमइ-संपया हुत्था ॥सू.२२१।। उसभस्स णं अरहओ कोसलियस्स बारस सहस्सा छच्च सया पण्णासा वाईणं उक्कोसिया वाइ-संपया हुत्था ॥सू. २२२।। उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स वीसं अंतेवासिसहस्सा सिद्धा, उसभस्स णं अरह ओ कोसलिअस्स चत्तालीसं अज्जिया-साहस्सीओ सिद्धाओ ॥सू. २२३।। उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स बावीस सहस्सा नव सया अणुत्तरो-ववाइयाणं गइ-कल्लाणाणं जाव भदाणं उक्कोसिया संपया 姆西灣强强强强强强函邊強強強強強強強強強強露贺四獨母 For Private and Personal Use Only

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