Book Title: Kalpasutra
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 58
________________ Shri Maharan Aradhana Kendra www.kabati.org Acharya Shekalassagarsun Gyanmandir कल्पसूत्र मूळ ॥६६॥ * ते णं काले णं ते णं समए णं अरहा अरिठ्ठनेमी पंच चित्ते हुत्था, तंजहा-चित्ताहिं चुए चइत्ता गब्भं वक्ते, तहेव उक्खेवो, जाव चित्ताहिं परिनिव्वुए ॥सू. १६९।। ते णं | काले णं ते णं समए णं अरहा अरिठ्ठनेमी जे से वासाणं चउत्थे मासे सत्तमे पक्खे कत्तिअ-बहुले, तस्स णं कत्तिय-बहुलस्स बारसी-पक्खे णं अपराजिआओ | महा-विमाणाओ बत्तीसं सागरोवम-ठुिइयाओ अणंतरं चयं चइत्ता इहेव जबुद्दीवे दीवे भारहे वासे सोरियपुरे नयरे समुद्दविजयस्स रण्णो भारिआए सिवाए देवीए पुव्वरत्तावरत्त-काल-समयंसि जाव चित्ताहिं जाव गब्भताए वक्ते, सव्वं तहेव सुमिण-दसणदविण-संहरणाइअं इत्थ भाणियव्वं ॥स. १७०|| (चित्रा नं. २२) | ते णं काले णं ते णं समए णं अरहा अरिठ्ठनेमी जे से वासाणं पढमे मासे दुच्चे | पक्खे सावण-सुद्धे, तस्स णं सावण-सुद्धस्स पंचमी पक्खे णं नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं जाव चित्ताहिं नक्खत्तेणं जोग-मुवागएणं आरोग्गा आरोग्गं दारयं पयाया ।। जम्म णं समुद्द-विजया-भिलावेणं नेयव्वं जाव तं होउ णं कुमारे अरिठ्ठनेमी नामेणं ।।सू. १७१।। अरहा अरिठ्ठनेमी दक्खे जाव तिण्णि वास-सयाई कुमारे अगार-वासमज्झे 草激瞭瞭啦啦啦啦撒撒撒撒琳琳琳琳琳鄰鄰郡郡 ॥६६॥ For Prate and Personal Use Only

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