Book Title: Kalpasutra
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 60
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kalassagarsur Gyanmandir कल्पसूत्र मूळ चित्र Cur 賺賺率部隊球球賺賺賺賺賺賺激瞭求聯際牌激 चित्ताहिं नक्खत्तेणं जोग-मुवागएणं झाणंतरियाए वट्टमाणस्स अणंते जाव जाणमाणे पासमाणे विहरइ ॥सू. १७४|| (चित्र नं. २३-२४-२५-२६) अरहओ णं अरिठ्ठनेमिस्स अठ्ठारस गणा अठ्ठारस गणहरा हुत्था ।।सू. १७५।। अरहओ णं अरिठ्ठनेमिस्स वरदत्त-पामुक्खाओ अठ्ठारस समण-साहस्सीओ उक्कोसिया समण-संपया हुत्था ॥सू. १७६।। अरहओ णं अरिठ्ठनेमिस्स अज्ज-जक्खिणि -पामुक्खाओ चत्तालीसं अज्जिया-साहस्सीओ उक्कोसिया अज्जिया-संपया हुत्था ।। सू. १७७ ।। अरहओ णं अरिट्ठनेमिस्स नंद-पामुक्खाणं समणोवासगाणं एगा सयसाहस्सी अउणत्तरं च सहस्सा उक्कोसिया समणोवासगाणं संपया हुत्था ।।सू.१७८।। अरहओ णं अरिठ्ठनेमिस्स महासुव्वया-पामुक्खाणं समणोवासिआणं तिण्णि सय-साहस्सीओ छत्तीसं च सहस्सा उक्कोसिआ समणोवासिआणं संपया हुत्था ॥सू. १७९।। अरहओ णं अरिठ्ठनेमिस्स चत्तारि सया चउद्दस-पुव्वीणं अजिणाणं जिण-संकासाणं सव्व-क्खर-सन्निवाईणं जाव संपया हुत्था, पन्नरस सया ओहिनाणीणं, पन्नरस सया केवलनाणीणं, पन्नरस सया वेउव्विआणं, दससया विउलमईणं, अठ्ठसया वाईणं, सोलस 嫩嫩嫩球球球球球激部撤離離離離球球 球源源滋滋路 For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121