Book Title: Kalpasutra
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 56
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatram.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir कल्पसूत्र ।। ६४ ।। 器婆發發發發强强强强强强强强發發發發發發發發發發發發 पासस्स णं अरह ओ पुरिसादाणीयस्स पुप्फचूला-पामुक्खाओ अठ्ठत्तीसं | अज्जिया-साहस्सीओ उक्कोसिआ अज्जिया-संपया हुत्था ।।सू. १६१|| पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स सुव्वय-पामुक्खाणं समणोवासगाणं एगा सयसाहस्सीओ चउसठिं च सहस्सा उक्कोसिआ समणोवासगाणं संपया हुत्था ।।सू. १६२|| पासस्स णं अरहओ परिसादाणीयस्स सुनंदा-पामुक्खाणं समणोवासियाणं तिण्णि सय-साहस्सिओ सत्तावीसं च सहस्सा उक्कोसिआ समणोवासियाणं संपया हुत्था ।। सू. १६३ ।। पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स अद्धठ्ठ-सया चउद्दस-पुव्वीणं अजिणाणं जिण-संकासाणं सव्व-क्खरसन्निवाईणं जाव चउद्दस-पुव्वीणं संपया हुत्था ।।सू. १६४|| पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स चउद्दस सया ओहिनाणीणं, दस सया केवलनाणीणं, इक्कारस सया वेउव्वियाणं, छस्सया रिउमईणं, दस समणसया सिद्धा, वीसं अज्जिया-सयाई सिद्धाइं, अद्धठ्ठम-सया विउलमईणं, छस्सया वाईणं, बारस सया अणुत्तरो-ववाइयाणं सू. १६५।। पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स दुविहा अंतगड-भूमी हुत्था, तंजहाः-जुगंत 發發發發發發發發發發發發發遊蒸蛋器强强强强强豪强强强 ॥६४ ॥ For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121