Book Title: Kalpasutra
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 40
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir कल्पसूत्र मूळ || ३६ ॥ 蒙蒙蒙蒙蒙蒙蒙蒙蒙蒙串聯串串滋总踪踪 देवाणुप्पिया ! तिसलाए खत्तियाणिए सुमिणा दिठ्ठा, तं जहाः -अत्थ-लाभो देवाणुप्पिया ! भोग-लाभो देवाणुप्पिया ! पुत्त-लाभो देवाणुप्पिया ! सुक्ख-लाभो देवाणुप्पिया ! रज्ज-लाभो देवाणुप्पिया ! एवं खलु देवाणुप्पिया ! तिसला खत्तिआणी नवण्हं मासाणं बहुपडि - पुन्नाणं अद्धठ्ठमाणं राइंदियाणं विइक्कंताणं तुम्हें कुल-केउं, कुल-दीवं, कुल | -पव्वयं कुल-वडिंसयं कुल-तिलयं कुल-कित्तिकरं कुल-वित्तिकरं कुल-दिणयरं, कुलाधारं, कुल-नंदिकर, कुल-जसकरं, कुल-पायवं, कुल-तंतु-संताण-विवद्धण-करं, सुकुमाल-पाणिपायं,अहीण-पडिपुन्न-पंचिंदिय-सरीरं, लक्खण - वंजण- गुणोववेयं, माणुम्माण प्पमाण-पडिपुन्न-सुजाय-सव्वंग-सुंदरंग, ससि-सोमाकारं, कंतं, पियदंसणं, सुरूवं, दारयं पयाहिसि ।।सू. ७८।। से वि य णं दारए उम्मुक्क-बालभावे विण्णाय-परिणय-मित्ते जोव्वणग-मणुप्पत्ते सूरे वीरे विकंते विच्छिन्न-विपुल-बल-वाहणे चाउरंत-चक्कवट्टी रज्जवई | राया भविस्सइ, जिणे वा तेलुक्क-नायगे धम्म-वर-चाउरंत-चक्कवट्टी |सू. ७९|| तं उराला | णं देवाणुप्पिया ! तिसलाए खत्तियाणीए सुमिणा दिठ्ठा, जाव आरुग्ग-तुठ्ठि| दीहाउ-कल्लाण-मंगल्ल-कारगाणं देवाणुप्पिया ! तिसलाए खत्तियाणीए सुमिणा दिठ्ठा ।सू. ८०|| 總礎發發發繼鄉鄉键魏魏錢錢錢錢額 檢磁盘的經驗遊發證谈婚 ॥३६॥ For Private and Personal Use Only

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