Book Title: Kahe Kalapurnasuri Part 04 Gujarati
Author(s): Muktichandravijay, Munichandravijay
Publisher: Shanti Jin Aradhak Mandal
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आमंत्रण हो तो पराये समुदाय में भी मैं जाता, लेकिन यह तो हमारा ही परिवार है । यहां दिव्य दृश्य देखने मिला यह मेरा परम सौभाग्य है । __सनातन धर्म यहां मूर्तिमंत प्रगट हुआ है । सनातन मतलब जो प्राचीन से भी प्राचीन है जो शुरु नहीं होता, जो कभी खतम नहीं होता । जो पैदा होता है, वह जरुर नष्ट होता है । इसलिए ही भगवान के नाम हमने अनामी अनंत इत्यादि रखे है । भगवान कभी समाप्त नहीं होते ।
जो १४०० साल पूर्व पैदा हुए, उनकी उम्र है । संप्रदाय पैदा होते है, धर्म नहीं । ई.स. २००० (मिलेनियम) से हमारा क्या लेना देना ? श्रावकों को क्या २००० से मतलब ?
भगवान प्रेम रूप है । प्रेम के अलावा भगवान का दूसरा कोई स्वरूप नहीं है ।
'खुदा से डरो' इस्लाम कहता है । हम कहते है : भगवान से प्यार करो । कभी हम नहीं कहते : अरिहंतों से डरो ।
जिसकी उपस्थिति भय का नाश करती है, वह तीर्थंकर है । वे तो अभयदाता है । यहां डरोगे तो निर्भय कहां बनोगे ?
भय और भक्ति एक साथ नहीं रह सकते ।
जो स्वयं ही खुदा हुआ है, उससे क्या डरना ? ख्रिस्ती - इस्लाम खुदा से डरने का कहते है, लेकिन हिन्दु संस्कृति ऐसा नहीं कहती ।
अहँतों के करुणा की लीला समझ में नहीं आती इसलिए वह अगम्य है।
संसार के सभी प्राणी के प्रति सामान्यरूप से बहता है, वह प्रेम है । इसु को २००० वर्ष भी हुए नहीं है, एक महीना
और २४ दिन बाकी है । मिलेनियम किस बात का ? जो १४००, २००० वर्ष से हुए है, वे कभी न कभी खतम होंगे। जो आदिनाथ की परंपरा है, वह न पैदा हुई है, न नष्ट होगी ।
जो आत्मा के अमृतत्व में विश्वास करता है, वह हिन्दु है। जो एक बार गल जाता है, फिर खड़ा नहीं होता है, वह अहिन्दु
है।
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