Book Title: Jeetkalp Sabhashya
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 729
________________ पदानुक्रम : परि-१ 535 1665 864 808 1469 608 108 1711,1724 741,948, 1685 1766 813 756,1065 175 2128 930 919 अह हरिते णिक्कारण अहाकरेसु रंधंति अहिगं तु तंदुलादी अहितोभयलोगम्मी अहुणा उ चारणा तू अहुणा गाहाणं तू अहुणा चित्ताचित्ते अहुणा जिणकप्पठिती अहुणा थेरठिती तू अहुणा मीसं मीसे अहुणा मूलावण्णो आउट्टि उवेच्चा तू आउट्टिामादीया आउट्टिया उवेच्चा . आउट्टियाएँ ठाणं.... आउट्टियाय दप्पप्प..... आउट्टियाय पंचिंदिय आउट्टियावराहे आउट्टो उवसंतो आउत्त पुव्वभासा आउत्तो वि य होउं आकंपिया णिमित्तेण आगमतो ववहारो आगाढऽणागाढम्मि आचेलक्कुद्देसिय आचेलक्को धम्मो आजीवियधरणाओ आणं सव्वजिणाणं आणाए ऽभावाओ आणादऽणंतसंसा.... आणेति भुत्तसेसं आतंके उवसग्गे 2348 | आतंको जरमादी 1019 | आतस्स साडणं ती 1284 आदाण-भंडणिक्खेव.... 1637 | आदाणे अहिगरणं 1865 आदाणे चलहत्थो 1675 | आदिगरा धम्माणं 1515 आदिग्गहणेणं तू 2159 | आदिग्गहणेणं पुण 2181 | आदिग्गहणे णेयो 1516 आदिमभंगा तिण्णि इ 2219 आदीगहणेणं पुण 2290 | आदेज्ज मधुरवयणो 1815 आपुच्छिऊण अरहते 2265 | आभोगमणाभोगे 76 आभोगे जाणतो 74| आभोगेण वि तणुगेस 83 आमंतिय पडिसुणणा 2271 आमे घडे णिहित्तं आयंबिल उसिणोदेण 917 आयट्ठा जा दुछडा 916 आयतर-परतराणं 1342 आयप्परपरिकम्म आयरिए अभिसेगे 27 आयरिए कतकरणे 1971,1975 आयरिए य गिलाणे आयरिओ य बहुस्सुत 2591 आयरिय अभत्तट्ठो 1183 आयरिय-असहु-अतरा 700 आयरिय उवज्झाए 2344 आयरिय-उवज्झाया 1279 आयरिय गिलाणे या 1664 आयरियपादमूलं 796 1178 2603 350 1163 1964 513 1993 2235 970 165 1058 611 1399,2232 2209 1049 408 1983

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