Book Title: Jeetkalp Sabhashya
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
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________________ तुलनात्मक संदर्भ : परि-३ 574 तव-णियम-णाणरुक्खं व्य 4447 | 2417 तुल्लम्मि वि अवराधे बृ५१२६ 1669 तवहेतु चतुत्थादी पिनि 320/2] 870 तुसिणीए हुंकारे नि 866, बृ 6105 521 तसपाण-बीयरहिते नि 3943, | 369 तेण य गीतत्थेणं नि 3833, व्य 4396 व्य 4264 379 तस्सट्ठगतोभासण नि 3842, व्य 4274 377 तेण य संविग्गेणं नि 3840, 673 तस्स तु उद्धरिऊणं व्य 4519 व्य 4272 231 तस्स त्ती तस्सेव उ | 180 तेणेव गुणेणं तू व्य 4099 438 तस्स य चरिमाहारो व्य 4324/2 | 2088 ते पुण जहा तु एक्काए पंक 2580 460 तह वि असंथर कोयव व्य 4344 | 2086 ते पुण मंडलियाए पंक 2578 459 तह वि असंथरमाणे व्य 4343 205 तेसिं अब्भटाणं व्य 4123 952 तह समणसुविहिताणं नि 577, 1114 तेसिं गुरूण उदएण पिनि 64/3 6306, बृ 4930, व्य 224 | 505 तो णाउ वित्तिछेदं व्य 4387 2441 ताहे य परिहरिज्जति बृ५५९७ / 2062 थेराण अत्थि खेत्तं पंक 2554 1997 तिक्खुत्तो सक्खेत्ते नि 1174, | 2098 थेराण सत्तरी खलु बृ 6434 पंक 1300,66380/ 1567 थोवे थोवं छुळे पिनि 264/1 2014 तिक्खुत्तो सक्खेत्ते बृ 3555, 6397 | 633 सण अणुम्मुयंतो व्य 4485 503 तिण्णि तु वारा किरिया व्य 4385 / 601 सण-णाण-चरित्ते नि 484, 1994 तित्थंगरपडिकुट्ठो नि 1159, | व्य 4464 पंक 1298, प्रसा 806, 1092 दंसणणाणप्पभवं पिनि 57/5 बृ 3540,6378 571 दट्ठ महल्लमहीरुह व्य 4444 2304 तित्थकरं संघ सुतं बृ 4975, 5060 486 व्य 4370 2477 तित्थगरपढमसीसं बृ 4984 / 589 दप्प-अकप्प-णिरालंब 585 तिविधं अतीतकाले / व्य 4458 व्य 4462 444 तिविधं तु वोसिरिहीइ नि 3891, | 449 दवियपरीमाणं ता नि 3897, व्य 4329 व्य 4333 1274 तिविधं पुण अच्छेज्जं पिनि 172 | 2164 दव्वं अभिग्गहा पुण पंक 1368 2075 तीसं पदाऽवराहे पंक 2567 | 1117 दव्वायहम्ममेतं पिनि 66 1841 तीसा य पण्णवीसा बृ६०४२, | 131 दव्वेहि पज्जवेहि य व्य 4055 व्य 1068,1120 - दस एतस्स य मज्झ य नि 305, . 2017 तुच्छत्तणेण गव्वो बृ६४०० बृ६०७३ नि 463, .

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