Book Title: Jeetkalp Sabhashya
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 878
________________ पार्गशष्ट 14 पाद-टिप्पण विषयानुक्रम ... 1993 (यह परिशिष्ट शोध विद्यार्थियों की सुविधा के लिए दिया जा रहा है। इसके आधार पर अनवाद में दिए गए पाद-टिप्पणों के संदर्भ स्थलों को जाना जा सकेगा। इस परिशिष्ट में जिस गाथा के जिस शब्द पर टिप्पण है, उसका संकेत दिया गया है। इसमें जहां गहरे रंग में संख्या हैं, वे जीतकल्पसूत्र की गाथा संख्याएं हैं।) विषय गाथाङ्क | विषय गाथाङ्क अंतगत आनुगामिक अवधि 30 अभिषेक (उपाध्याय) अकल्प 154,587 | अभोज्य 1191 अकल्पस्थित अभ्याहृत दोष 1249, 1253 अकाल स्वाध्याय 1001 | अभ्युद्यत विहार 2348 अगीतार्थ 1940 | अमूढदृष्टि 1041 .. अतिपरिणामक अवधिज्ञान 35, 36 अदत्त 902 अवधिज्ञान का जघन्य क्षेत्र अनागाढ़ योग 1031 अवधिज्ञान का परिमाण अनानुगामिक 46,49 अवधिज्ञान की प्रकृतियां अनियतवृत्ति (आचार-संपदा) 166 अवधिज्ञान के भेद . 37 अनिसृष्ट और अपरिणत 1591 अवधिज्ञानी 36,68 अनिसृष्ट दोष | अवधिज्ञानी का ज्ञेय अनुग्रहविशारद 660 अव्यक्त 25 अनुपारिहारिक 2439 अस्थित कल्प 1975 अन्यधार्मिक स्तैन्य 2359 अर्हत् 982 अन्योन्य संक्रमण 2089 | आगमव्यवहार अपक्रमण 334 आगाढ़ योग 1031 अपद्रावण 1100 आचार-संपदा 164 अपराध पद 2075 आचेलक्य 1976 अपरिगृहीता 2364 आजीवना दोष 1357 अपरिणामक 69 आज्ञापरिणामक 570 अपात्र 2604 आत्मतरक 1964 अप्रतिपाती अवधि 65,69 | आधाकर्म 1113,1124,1158 अप्राप्त 1025 | आनुगामिक अवधि 37,40 अभिचारक 610 | आप्रच्छना सामाचारी 880 1281 ___72 698

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