Book Title: Jeetkalp Sabhashya
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
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________________ 690 जीतकल्प सभाष्य चू पृ.१ ग्रंथ 202 . चउरंग (चौरस) 1723 | सामाइय (सामायिक) 1,714 वट्ट (इंद्रजाल का खेल) . 1723 सूयगड (सूत्रकृतांग) तिर्यञ्च आयार (आचाराङ्ग) __चू पृ.१ अच्छ (ऋक्ष) 500 आयारपकप्प (निशीथ) 2079 अजा (बकरी) 1133, 1773 आवस्सग (आवश्यक) 60 आस (अश्व) 821 उत्तरज्झयण (उत्तराध्ययन) चू पृ.१ उलुग (उलूक) 2482 ओहजुत्ति (ओघनियुक्ति) 958 | एलग (एडक) 1773 कप्प (बृहत्कल्प) 332, 427, 561, कच्छव (कच्छप) 1553 562, 1731, 1799, काग (काक) 904 1945, 2607, 2608 | कीडी (कीटिका) 1509 कप्पनिज्जुत्ति (बृहत्कल्पनियुक्ति) 563, 564 कुंथु (कुन्थु) कप्पियाकप्पिय (कल्पिकाकल्पिक) चू पृ.१ | कुम्म (कूर्म) चू प.६ चुल्लकप्प (क्षुल्लकल्प) चू पृ.१ कोइल (कोकिल) 1725 जीतकप्प (जीतकल्प) 2590 गद्दभ (गर्दभ) जोणिपाहुड (योनिप्राभृत) चू पृ. 28 गय (गज) णिसिह (निशीथ) 1800 गरुल (गरुड़) णिसीह (निशीथ) 1799, गावी (गाय) 2143 2607, चूपृ.१ गो (गाय) 1133,1773 दसकालिय (दशवैकालिक) चू पृ.१ गोण (वृषभ, बैल) . 904,1377 दसा (दशाश्रुतस्कन्ध) चू पृ. 1 गोणस (गोनस) 501 पुव्वगत (पूर्वगत) 2369 | घरकोइल(गृहकोकिल, छिपकली) 1267 बिंदुसार (बिंदुसार) 1,714 घुण (घुण) महाकप्प (महाकल्प) ___चू पृ. 1 जड्ड (हाथी) ववहार (व्यवहार) 561, 562, जाहग (जाहक) 183 1799, 2607, चू पृ.१ ढंक (कौआ) 2469 ववहारनिज्जुत्ति (व्यवहारनियुक्ति) 563,564 | तरच्छ (तरक्ष) 2012 विवाह (व्याख्याप्रज्ञप्ति) 1105 तित्तिर (तित्तिर) चू पृ. 17 1019 801 1987 '258 425

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