Book Title: Jeetkalp Sabhashya
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
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________________ 687 गाथाङ्ग 64 1802 136 1357 2086 2087 936 185-189 38,43 84,86 87,88 479 पाद-टिप्पण विषयानुक्रम : परि-१४ विषय गाथाङ्क विषय पुष्पावकीर्ण उपाश्रय 2088 भावलिंग पुस्तक-पंचक 1770 भिन्नमास पूतिकर्म 1203,1211, 1212 भूतार्थ क्रिया पृष्ठतः अंतगत अवधि मंडल प्रतिक्रमण मंडली प्रतिपाती (अवधि) मंडली-विधि प्रतिप्रच्छना सामाचारी 880 मडम्ब प्रतिमा मतिज्ञान के भेद प्रतिलेखना के दोष 811 मध्यगत अवधि प्रतिसंसाधन 874 मनःपर्यवज्ञान प्रतिसेवना 74, 588, 635 | मनःपर्यवज्ञानी प्रत्यक्ष 11, 14 महाशिलाकंटक प्रत्यक्ष और परोक्ष माडम्बिक प्रभावना 1051 मासकल्प प्रमाद प्रतिसेवना 74 मितआहार प्रयोगमति संपदा मिथ्याकार सामाचारी प्रवचन मिश्रजात प्रवचन-प्रभावना 605 | मिश्रजात और अध्यवपूरक प्रशस्त अध्यवसाय 50 मुदित और मूर्धाभिषिक्त प्रस्थापना 975 मूलकर्म प्राभृतिका 2466 मृषावाद प्रायश्चित्त 5,274, 306, 2201 यंत्रशाला प्रायोपगमन 322, 523 यथालंदिक बकुशत्व 12 रजोहरण बहुश्रुत 2599 रथमुशल ब्रह्मशाखा 1466 | राज-प्रद्वेष भक्तपरिज्ञा 323 राजरूपी भक्तप्रत्याख्याता 477,492 लागतरण भक्ति और बहुमान 1003 लौकिक हस्तताल वक्रजड़ भवप्रत्ययिक अवधि 32 वचन-सम्पदा 2004 2060 1632 880 1216 1283 2000 1466,1468 881,883 425 2066 2174 479 2574 2570 605 2375 भय 921 202-2 175

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