Book Title: Jeetkalp Sabhashya
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
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________________ 678 जीतकल्प सभाष्य / भद्दबाहु भरत भरह भरह 500 मेरु भल्ल मंडुक्कलि मंच मंचग ... 394 मगर मगह 826 मच्छ मच्छि मच्छिय मत्तग (आचार्य) 560, 2588 मुहणंत (राजा) 1175 मुहणंतग (चक्रवर्ती) 1408, 1409. मुहपुत्तिय (क्षेत्र) 434, 1999 मूइंगलिय (तिर्यञ्च) (तिर्यञ्च) मोगल्ल (गृह-उपकरण) मोदक (उपकरण) मोदण (तिर्यञ्च) मोहणिय (जनपद) रक्खितज्ज (तिर्यञ्च) 1606 रज्जु (तिर्यञ्च) 1508 रट्ठपाल (तिर्यञ्च) 1606 रतणपुढवी (साधु-उपकरण) 1729 रतणावलि (खाद्य) 1603 रयय (तिर्यञ्च) 1725 रयहरण (वस्त्र) 1771 रह (संग्राम) 479,480 रहमुसल (ग्रंथ) जीचू पृ.१ रायगिह (क्षेत्र) 2100 (तिर्यञ्च) 1133, 1773, रालग 2529 राहु (देश) 195,933 लड्डग (तिर्यञ्च) 1773 लवंग (पुस्तक) 1770 लसुण (तीर्थंकर) 528, 2500 लागतरण (राजा) 1444, 1445 लोट्ट (साधु-उपकरण) 682 (साधु-उपकरण) - 2482 (साधु-उपकरण) 733 (तिर्यञ्च) 21 (पर्वत) . 468,555 (पर्वत) 534 (खाद्य) 1398 (खाद्य) (कर्म) . 939 (आचार्य) 612 (मरण) 509. (नाटक) 1407 (नरक) (तप) 2164 (धातु) 1316 (साधु-उपरकण) 1729 (वाहन) 1133 - (संग्राम) (नगर) 1394, 1398, 1405 (धान्य) 1148, 1770 968 (खाद्य) 1090 (तम्बोल) 1765 (वनस्पति) 1504 (खाद्य-विशेष) . 605 1550 मधु मयूर मसूरग महसिल 479 महाकप्प महाविदेह महिस (ग्रह) मालव मिग मुणिसुव्वय मुरुंड (खाद्य).

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