Book Title: Jeetkalp Sabhashya
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
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________________ परिशिष्ट 13 विषयानुक्रम अक्ष अंगार दोष 1643-48 , आप्त 141 अक्ष 12, 13 / आलोचना 127-134,246-51, अगीतार्थ 357 408-23,624-82, अज्ञान 136 718,731-38,758-62 अतिपरिणामक 1948,1955,1956 आशातना 861-72, 2465-78 अदत्तादान 902 आहार 472,473 अध्यवतर (भिक्षा-दोष) 1283-85 | इंगिनीमरण 512-15 अध्वानातीत दोष 964 इंद्रियप्रत्यक्ष 20-22 अनवस्थाप्य 2303-2419 उत्पादना दोष 1313-20 अनात्मवश 937-39 उद्गम दोष . 1088-97 अनाभोग 916 उद्भिन्न (भिक्षा-दोष) 1256-68 अनिसृष्ट (भिक्षा-दोष) 1275-82 | उन्मिश्र (भिक्षा-दोष) 1582-86 अपरिणत दोष . 1587-93 उपधि 1727-31 अपरिणामक 1947-1954 औद्देशिक (भिक्षा-दोष) 1195-1202, अपात्र 1225-27,2603-05 1992, 1993 अभिहत (भिक्षा-दोष) 1249-55 कल्प 561, 562 अवधिज्ञान. .. 24-73 कल्पस्थिति 1969-75 असंविग्न 371-74 कायोत्सर्ग 455 अर्हत् 982, 983 कारणदोष 1655-70 आगमव्यवहार 109-142 कालातीत दोष 963 आगमव्यवहारी 108,143-48 कृतिकर्म 2015-18 आचेलक्य 1976-91 केवलज्ञान 90-107 आच्छेद्य (भिक्षा-दोष) 1274 | कोटि 1286-1303 आजीवनापिण्ड (भिक्षा-दोष) 1350-61 क्रीतकृत 1241-44 आज्ञाव्यवहार 566-653 क्रोधपिण्ड 1395 आधाकर्म (भिक्षा-दोष) 1098-1195 गणि-संपदा 160-205 आपत्ति 935,936 गीतार्थ 961

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