Book Title: Jeetkalp Sabhashya
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 863
________________ देशी शब्द : परि-११ 669 डोंब-महावत। गा. 1282 | दुसुंठ-उद्धत, अविनीत। जीचूवि पृ. 52 डोंबिल-डोम, चाण्डाल। गा. 425 / दे-अपशब्द-सूचक अव्यय। गा. 838 डोय-चम्मच। गा. 1209 देवड-चर्मकार। गा. 425 डोयी-बड़ा चम्मच। गा. 1211 देसिं-बासी।। गा. 1510 ढंक-काक, कौआ। गा. 2469 दोद्धिअ-चर्मकूप, मशक। गा. 403 ढक्कित-ढका हुआ। गा. 1152 धणिय-अत्यधिक। गा.११०५ ढड्डर-तेज आवाज। गा.८०६ नहरणी-नख-कर्तनी। जीचू पृ. 17 णउलय-नौली। गा. 2399 नियंसणी-साध्वियों का वस्त्र विशेष / णंतिक्क-बुनकर, जुलाहा। गा. 425 जीचू पृ.१८ णग्गय-नग्न। . गा. 1979 पंगुरण-प्रावरण। गा. 1990 णलिय-घर, गृह। गा. 404 | पच्चोणी-सम्मुख आना। गा.१३४४ णवतय-ऊन का बना हुआ पच्छिय-पात्र विशेष। गा.१५५१ आस्तरण विशेष। गा. 1772 | पणग-काई, अनंत काय विशेष। गा.५२ णवय-ऊन का बना हुआ आस्तरण पत्थार-विनाश। गा. 363 विशेष गा. 460 | पप्पडिग-खाद्य वस्तु-विशेष। गा. 1537 णिदा-जानते हुए प्राणवध करना। गा.१११५ पल्हवि-एक प्रकार का वस्त्र, जो हाथी णिद्धंधस-निर्दय, अकृत्यसेवी। गा. 1187 की पीठ पर बिछाया जाता है। गा. 1772 णूमण-गोपन, छिपाना-गूहण गोवण पाहेण-मोदक आदि मिठाई। गा. 1234 - णूमण पलियंचणमेव एगटुं। गा. 1776 पूरी-हाथी की पीठ पर बिछाया जाने तच्चण्णिय-बौद्ध भिक्षु। गा.१३६७ | वाला वस्त्र-पूरी-पल्हवी तलवर-कोतवाल। गा. 2003 हस्त्यास्तरणम्। जीचूवि पृ.५१ तलिगा-जूता। जीचू पृ. 18 पेलु-पूनी, रूई की पहल। गा.१२२७ तिंतिण-चिड़चिड़े स्वभाव वाला। गा. 2597 | पेल्लण-पीड़ा। गा.१२६७ तितिणिअ-चिड़चिड़े स्वभाव वाला। गा. 1026 पेल्लिय-पशु, पक्षी का बच्चा। गा.५३६ दहर-कुतुप आदि का मुखबंध रूप पोक्कड-पकाना। गा.१३३२ ढक्कन। गा. 1703 पोट्ट-पेट। . गा. 689 दाइय-दर्शित। गा. 2484 पोट्टल-पोटली। गा.५७७ दाविय-दिखाया हुआ। गा.८८४ | पोत्ति-वस्त्र। गा. 1979

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