Book Title: Jeetkalp Sabhashya
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 832
________________ 638 जीतकल्प सभाष्य नि 311, 1626 बत्तीसाउ परेणं पिनि 312/1 / 895 भणइ य दिट्ठ णियट्टे 156-59 बत्तीसाए तु ठाणेहिं व्य 4076-79 बृ६०८० 595 बल-वण्ण-रूवहेतुं नि 469 | 1489 भण्णति संकितभावो तु.पिनि 241 823 बहुं सुणेति कण्णेहिं दश 8/20 | 2065 भत्तं लेवकडं वा पंक 2557 198 बहुजणजोग्गं पेहे व्य 4116 | 2339 भत्ते पण्णवण णिगृहणा नि 2703, 191 बहु बहुविह पोराणं व्य 4110 बृ५०७६ 188 बहुविहऽणेगपगारं व्य 4107 | 19 भत्ते पाणे सयणा... व्य 111 168 बहुसुत जुगप्पहाणो व्य 4088 | 56 भरहम्मि अद्धमासो आवनि 32, 167 बहुसुत परिजितसुत्ते व्य 4087 नंदी 18/5, विभा 610 677 बहुसो बहुस्सुतेहिं व्य 4542 | 2113 भरहेरवयवासेसु बृ६४४८ 1608 बायालीसेसणसंकडम्मि ओनि 545, | 1306 भावे अरत्तदुट्ठो तु.पिनि 192 पिनि 302/5, पंव 354 | 1317 भावे पसत्थ इतरा . पिनि 194/3 . 1569 बाले वुड्डे मत्ते पिनि 265 | 325 भिक्ख-वियारसमत्थो व्य 4225. : 539 बावीस आणुपुव्वी नि 3974, | 1327 भिक्खादी वच्चंते नि 4399, व्य 4427 पिनि 201/1 2166 बाहिरओं सरीरस्सा पंक 1446 / 2100 भिण्णं पि मासकप्पं बृ६४३६ 632 बितियं कज्जं कप्पो व्य 4484 | 1453 भिक्खे परिहायंते तु.नि 4464, 2345 बितियपदं वोच्छेदे बृ५०८३ तु. पिभा 36 652 बितियस्स य कज्जस्सा व्य 4500 | 137 / / भीतो पलायमाणो. व्य 4059 627 बितियस्स य कज्जस्सा व्य 4475 / 269 भुजति चक्की भोगे . तु. व्य 4177 598 बितियिपदे जो तु परं नि 472 | 1368 भुंजंति चित्तकम्मट्टित नि 4421, 1480 बीएण गहित संकित तु. पिनि 240/2 पिनि 209/1 573 बेति गुरू अह तं तू व्य 4446 भुंजसु पच्चक्खाणं नि 303, 1339 बेति जणो केणेयं तु.पिनि 203 बृ६०७१ 1388 बेति व एरिस दुक्खं नि 4435, | 431 / भुत्तभोगी पुरा जो तु नि 3881, पिनि 214/2 व्य 4318 2386 बोहिभयसावगादिसु बृ 5111 / 1236 मंगलहेतुं पुण्ण?..... पिनि 135/1 404 भंडी बइल्लए काए नि 3857, | 41 मग्गतों अंतगतो ऊ तु. नंदी 13 व्य 4293 | 547 मज्जण-गंधं पुप्फो.... तु.नि 3958, 1571 भज्जेती य दलेंती पिनि 267 तु.व्य 4410

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