Book Title: Jeetkalp Sabhashya
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
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________________ जीतकल्प सभाष्य 53 सव्वबहुअगणिजीवा आवनि 29, | 2084 साहारणा तु एते पंक 2576 ___ नंदी 18/2, विभा 598 | 1396 साहूण समुल्लावो .नि 4046, 219 सव्वम्मि बारसविधे व्य 4137 तु. पिनि 219/1 472 सव्वसुहप्पभवाओ नि 3919, | 1485 साहू सुतोवउत्तो / पिनि 239/1 प्रकी 1292, व्य 4356 | 1208 सिझंतस्सुवगारं पिनि 113 471 सव्वाओ अज्जाओ नि 3918, | 337 सिणेहो पेलवी होती नि 3821, प्रकी 1291, व्य 4355 व्य 4235 469 सव्वाहिं वि लद्धीहिं नि 3916, | 2381 सिप्पंणेउणियट्ठा। बृ५१०९ प्रकी 1289, व्य 4353 | 236 सीतघरम्मि व डाहं व्य 4152 2016 सव्वाहिं संजतीहिं पंक 1339, | 1639 सीतो उसिणो साहारणो तु. पिनि 313/3 बृ 6399 | 1979 सीसावेढियपोत्तिं बृ६३६६ . 2124 सव्वे चरित्तमंता य बृ 6454 | 1298 सुक्केण वि जं छिक्कं . पिभा 28 468 सव्वे सव्वद्धाए नि 3915, | 1562 सुक्के सुक्कं पढमं पिनि 263/1 प्रकी 1288, व्य 4352 | 1309 सुक्खे सुक्खं पडितं पिनि 192/3 2026 सा जेसि तुवट्ठवणा बृ६४०९ / 320 सुण जह णिज्जवगऽत्थी व्य 4220 / 1224 सा पाहुडिया दुविधा पिनि 131 | 223 सुत्तं अत्थं च तहा व्य 4140 1969 सामाइए य छेदे बृ६३५७ | 142 सुत्तं अत्थे उभयं ' व्य 4064 714 सामाइयमादीयं आवनि 87 सुत्तं गाहेति उज्जुत्तो व्य 4141 286 सामाइसंजताणं व्य 4189 / 2089 सुत्तत्थतदुभयविसार...... पंक 2581 331 सारेऊण य कवयं नि 3816, | 1486 सुत्तस्स अप्पमाणे . पिनि 240 व्य 4230 | 490 सुद्धं एसित्तु ठावेंति नि 3931, 1177 साली-घत-गुल-गोरस नि 2662, व्य 4373 __पंक 1285, बृ५३४१, पिनि 82/1 | 59 सुहुमो य होति कालो आवनि 35, 1147 सालीमादी अगडे पिनि 75 नंदी 18/8, विभा 621 2221 सावेक्खो त्ति व काउंनि 6657, | 1459 सूभग-दोभग्गकरा नि 4469, व्य 167 पिनि 231/1 303 सावेक्खो पवयणम्मि व्य 4204 | 65 से किं अप्पडिवातिं तु.नंदी 21 2482 सासवणाले मुहणंतगे बृ 4987 | 43 से किं मज्झगतो? तं तु. नंदी 15 2483 सासवणाले लढे नि 3683, | 1974 सेज्जातरपिंडे या पंक 1273, तु.पंक 453, बृ 4988 | बृ६३६१ 2

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