Book Title: Jeetkalp Sabhashya
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 833
________________ तुलनात्मक संदर्भ : परि-३ 639 44 मज्झगतंऽतगतस्स य तु. नंदी 16 | 2174 रयहरणं मुहपोत्ती तु. पंक 1452 88 मणपज्जवणाणं पुण आवनि 73, | 2177 रयहरणं मुहपोत्ती पंक 1444 नंदी 25/1, विभा 810 | 1618 रसहेतुं पडिकुट्ठो पिनि 309 185 मतिसंपद चउभेदा व्य 4104 | 662 रहिते नाम असंते व्य 4510 1558 मत्तेण जेण दाहिति तु.पिनि 262 | 1648 रागग्गीय पजलितो पिनि 314/2 1365 मयमातिवच्छगं पिव तु.नि 4419, | 116 राग-द्दोसविवड्डिं व्य 4041 तु. पिनि 208/1, 1653 रागेण सइंगालं तु.पिनि 315 2394 मरणभएणऽभिभूते बृ 5113 | 1398 रायगिहे धम्मरुई पिनि 219/9 361 मरिऊण अट्टझाणो . व्य 4256 | 1405 रायगिहे य कयाई पिनि 219/12 2604 मरेज्ज सह विज्जाए नि 6230 | 235 रुटुस्स कोधविणयण व्य 4151 480 महसिलकंटे तहियं व्य 4364 | 502 लद्धो व विसेणं तू व्य 4384 1231 मा ताव झंख पुत्तय! पिनि 132 | 1413 लब्भंतं पि ण गिण्हति पिनि 220 1803 मासो लहुगो गुरुगो नि 3279, | 2322 लहुगा अणुग्गहम्मी बृ५०७० व्य 621 / 1839 लहुसो लहुसतरागो बृ६०४०, : 896 मासो लहुगो गुरुगो नि 312, 6236, व्य 1066, 1118 बृ६०८१] 485 लावए पवए जोहे नि 3927, 1369 मिच्छत्तथिरीकरणं नि 4422, व्य 4369 पिनि 210 | 2360 लिंगपविट्ठाणेवं बृ५०९६ 2022 मिच्छत्तभावियाणं बृ६४०५ / 2508 लिंगेण लिंगिणीए नि 1690 . 528 . मुणिसुव्वयंतवासी उनि 113, | 2509 लिंगेण लिंगिणीए बृ५००८ नि 3964, व्य 4417 | 353 लुक्खत्ता मुहर्जतं व्य 4248 1999 . मुदिते मुद्धऽभिसित्ते नि 2498, | | 1299 लेवालेवे त्ति जं वुत्तं पिभा 29 ___पंक 1301, 66382/ | 1371 लोगाणुग्गहकारिसु नि 4423, 534 मोगल्लसेलसिहरे नि 3970, पिनि 210/1 व्य 4423 | 2006 लोभे एसणघातो नि 2505, 2185 मोत्तुं जिणकप्पठितिं बृ६४८६ 2523, बृ 6389 2530 मोदगभत्तमलद्धं नि 137, | 2162 वइरोसभसंघतणा पंक 1366 बृ५०१९ / 888 वच्चसि? णाहं वच्चे नि 304, 403 रण्णा कोंकणगाऽमच्चा। नि 3856, बृ 6072 व्य 4292 / 900 वच्चह एगं दव्वं नि 316, बृ 6087

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