Book Title: Jeetkalp Sabhashya
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 825
________________ तुलनात्मक संदर्भ : परि-३ 631 211 जा होती बत्तीसा व्य 4129 | 1943 जो दव्वखेत्तकतकाल.... बृ 793 2072 जिणकप्पियऽहालंदी पंक 2564 | 1947, जो दव्वखेत्तकतकाल... बृ 794,795 2058 जिणथेरअहालंदे पंक 2550 | 1948 467 जिणवयणमप्पमेयं नि 3914, | 664 जो धारितो सुतत्थो व्य 4512 प्रकी 1022, व्य 4351 / 575 जो पुण परिणामो खलु व्य 4448 1588 जीवत्तम्मि अविगते पिनि 293 | 296 जो पुण सहती कालं व्य 4198 11 जीवो अक्खो तं पति बृ 25 / 64 जोयणसयं सहस्सं तु. नंदी 20 1149 जुज्जति गणस्स खेत्तं पिनि 76/1 | 2503 जो वि सपक्खो राया..... बृ 4994 1980 जुण्णेहिं खंडिएहि य 66367 | 561 / / जो सुतमहिज्जति बहुं व्य 4432 138 जूतादि होति वसणं व्य 4060 | 562 जो सुतमहिज्जति बहुं व्य 4433 123 जेणं जीवा-ऽजीवा तु.व्य 4048 | 2106 ठवणाकप्पो दुविधो बृ 6442 422 जे मे जाणंति जिणानि 3873, 424 ठाणं पुण केरिसगं व्य 4311 प्रकी 869, व्य 4309 | 514 ठाण-णिसीय-तुयट्टण / नि 3938, 1457 जे विज्ज-मंतदोसा / नि 4466, व्य 4393 पिनि 231 | 330 ठाण वसही पसत्थे नि 3815, 2516 जेसु विहरंति ताओ बृ५०१४ व्य 4229 678 जो आगमे य सुत्ते व्य 4533 | 617 / ठावेत्तु दप्प-कप्पे व्य 4467 2561 जो उ उवेहं कुज्जा . नि 3084, | 2105 ठितमठितम्मि दसविधे नि 2149, बृ 1983,5037, 5932, बृ 6441 व्य 1075,1212 / 865 डहरो अकुलीणो त्ति य नि 2760, 240 जो एतेसु ण वट्टति व्य 4155 बृ 772 2104 जो कप्पठितीमेतं बृ 6440 | 2136 ण तेसिं जायते विग्धं बृ६४६४ 452 जो जत्थ होति कुसलो नि 3900, 493 ण पगासेज्ज लहुत्तं नि 3934, व्य 4336 व्य 4376 1185 जो जहवायं ण कुणति पिनि 83/3 | 1289 णव चेवऽट्ठारसगं पिनि 192/7 434 जो जारिसगो कालो नि 3885, | 439 णवविगति-सत्तओदण तु.नि 3887, व्य 4322 व्य 4325 297 जो तु धरेज्ज अवटुं व्य 4199 | 317 ण विणा तित्थं णियंठेहिं व्य 4217 295 जो तू असंतविभवो व्य 4.97 | 189 ण वि विस्सरति धुवत्तं व्य 4108

Loading...

Page Navigation
1 ... 823 824 825 826 827 828 829 830 831 832 833 834 835 836 837 838 839 840 841 842 843 844 845 846 847 848 849 850 851 852 853 854 855 856 857 858 859 860 861 862 863 864 865 866 867 868 869 870 871 872 873 874 875 876 877 878 879 880 881 882 883 884 885 886 887 888 889 890 891 892 893 894 895 896 897 898 899 900