Book Title: Jeetkalp Sabhashya
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 823
________________ तुलनात्मक संदर्भ : परि-३ 629 2495 गुरुसंसट्ठव्वरितं बृ५००२ | 2044 छण्हं जीवनिकायाणं पंक 1353, 1267 घरकोइलसंचारा पिनि 163/7 बृ६४२० 1609 घासेसणा तु भावे पिनि 303 / 2043 छण्हं जीवनिकायाणं पंक 1354, 170 घोसा उदत्तमादी व्य 4090 बृ६४१९ 551 चउकण्णम्मि रहस्से नि 3961, | 411 छत्तीसगुणसमण्णा.... तु. प्रकी 2895, व्य 4414 तु.नि 3862, तु. व्य 4298 306 चउ-तिग-दुगकल्लाणा व्य 4207 | 207-10 छत्तीसाए तु ठाणेहिं व्य 4125-28 1174 चउरो अतिक्कम वतिक्कमे तु.पिनि 82 | 241 छत्तीसेताणि ठाणाणि व्य 4156 634 चउवीसऽट्ठारसगा . व्य 4486 | 893 छल्लहुगा उ नियत्ते नि 309, बृ 6077 767 चक्के धुंभे पडिमा तु. ओनि 119 / 1657 पिनि 317 343 चत्तारि विचित्ताई तु.नि 3824, 1968 छायं पि विवज्जेती पिनि 80/1 तु. व्य 4240 | 649 छिंदंतु व तं भाणं व्य 4497 1455 चाणक्क पुच्छ इट्टाल... नि 4465, | 287 छेदोवट्ठावणिए व्य 4190 पिभा 37 | 147, जइ आगमो य आलोयणा व्य 4068, 2097 चातुम्मासुक्कोसे पंक 1362, 4069 बृ 6433 | 232 जं इह-परलोगे या व्य 4149 426 चारग-कोट्टग-कल्लाल नि 3876, 979 जंघद्धा संघट्टो तु. ओभा 34 व्य 4313 257 जं जत्तिएण सुज्झति व्य 4166 2012 चारियचोराभिमरा नि 2511, | 203 जं जम्मि होति काले व्य 4121 बृ६३९५ / 118 जं जह मोल्लं रयणं व्य 4043 342 चिट्ठतु जहण्ण मज्झा व्य 4239 | 687 जं जीतं सावज्जं व्य 4543 230 चुतधम्म णट्ठधम्मो व्य 4147 जं जीतं सोधिकरं व्य 4549 117 चोदगपुच्छा पच्चक्ख... तु.व्य 4042 / 692, जं जीतमसोहिकरं व्य 4547, 4548 .256 चोद्दसपुव्वधराणं व्य 4165693 1484 छउमत्थो सुतणाणी पिनि 239 | 2046 जं जो तु समावण्णो बृ 6421 1572 छक्कायवग्गहत्था पिनि 268 | 530 जंतेहिं करकएहि व नि 3966, 1843 छटुं च चउत्थं वा बृ६०४४, 6240, प्रकी 1231, व्य 4419 व्य 1070, 1122 | 313 जंपि य हु एक्कवीसं व्य 4214 2206 छट्ठऽट्ठमादिएहिं नि 6652, | 1526 जं पुण अचित्तदव्वं पिनि 251/2 व्य 162, 607 | 594 जं सेवितं तु बितियं नि 468

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