Book Title: Jeetkalp Sabhashya
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
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________________ 560 जीतकल्प सभाष्य 544,545 522 2116 555. 848 1320 199 1203 1379 ,400 1441 852 2527 1769 1166 पिंडोवहिसेज्जासू पिडि संघाते धातू पिसितासि पुव्वमहिसं पिहितं अणंतकाए पिहिताणंताऽणंतर पुच्छंतमणक्खाते पुट्ठा य दियत्तेणं पुढवादी छसु संजय पुढवादी जाव तसे पुढवादीणं कमसो पुढवि जल अगणि मारुत पुढवि-दग-अगणि-मारुय पुढवी आउक्काए पुढवीससरक्खेणं पुणरवि चउरण्णा तू पुणसद्दो तु विसेसणे पुयकड्डणा उ हेतु पुरकम्म पच्छकम्मे पुरतो जाणति पासति पुरपच्छिमवज्जेहिँ पुरिमड्डो च्चिय नियमा पुरिमाण दुव्विसोज्झो पुरिमादी खमणंतं पुरिसं उवासगादी पुरिसं पडुच्च अहिगं पुरिसस्स उ अवराह पुरिसा गीतागीता पुरिसे त्ति गतं दारं पुव्वं अपासिऊणं पुवट्ठिताण खेत्ते पुव्वतरं सामइयं पुव्वब्भासा भासेज्ज 1093 पुव्वभवियपेमेणं 955 पुव्वभवियवेरेणं 2529 पुव्वसतसहस्साई 1681 | पुव्वा-ऽवर-दाहिण-उत्तरेहि 1547 पुव्विं चक्खु परिक्खिय 2484 पुव्विं-पच्छासंथव 1346 | पूए अहागुरुं पि य 1291 पूतीकम्मं दुविधं 1540 पूयंति पूयणिज्जा 1556 पेच्छह ता मे एतं 941 पेच्छामो त्ति य भणिते 526 | पेहितमेतं किं पेहणा 956, 1714 | पोग्गल मोदग फरुसग 1492 पोत्थग-तणपणगं वा 345 फरुसं बेति दुमुण्डिय 2597 फलमादि छिण्णछोडित 909 फासुग छगणेणं तू 1496, 1690 फासेणऽब्भंगियमादि / 45 फिडितुस्सग्गे एक्के 1995 फिडिते सतमुस्सारित 2238 बंधति अहेभवाउं 2020 बकुस-पडिसेवगा खलु 32 बगुस-पडिसेवगाणं 194/ बत्तीसं किर कवला 1939 | बत्तीसलक्खणधरो | बत्तीस वण्णित च्चिय | बत्तीसाउ परेणं 2264 बत्तीसाए तु ठाणेहिं 135 बल-वण्ण-रूवहेतुं 2090 / बहुं सुणेति कण्णेहिं 2025 बहुजणजोग्गं पेहे 2409 बहुतरगुणसमगो तू 1257 22 1755 1113 290 283 1622 546 663 212 1626 156-159 595 823 . 198 2196

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