Book Title: Jeetkalp Sabhashya
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
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________________ 624 जीतकल्प सभाष्य 243 आलोयणागुणेहिं व्य 4158 | 310 इय अणिवारितदोसा व्य 4211 289 आलोयणा विवेगे य व्य 4192 | 255 इय भणिते चोदेती व्य 4163 284 आलोयणा विवेगो वा व्य 4187 | 120 इय मासाण बहूण वि व्य 4045 1990 आसज्ज खेत्तकप्पं बृ 6371 | 2057 इय सइ दोसं छिंदति बृ६४३० 2539 आसयपोसयसेवी बृ५०२६ / 1660 इरियं च ण सोहेती तु. पिनि 318/2 2554 आसायणा जहण्णो बृ 5032 | 606 इरियं ण सोहइस्सं . नि 488 1315 आसूयमादिएहिं पिनि 194/1 | 2003 ईसर-तलवर-माडंबि... नि 2502, 2560 आहरति भत्तपाणं बृ 5038, बृ 6386 व्य 1213 | 2004 ईसर भोइयमादी नि 2503, बृ 6387 1193 आहाकम्मं भुंजति पिनि 92 | 354 उक्कोसिगा तु एसा व्य 4249 1120 आहाकम्मपरिणतो पिनि 67/1 | 2326 उक्कोसो सणिजोगो बृ५०७२ 1098 आहाकम्मियणामा पिनि 60 | 1566 उक्खेवे णिक्खेवे तु.पिनि 264 372 आहाकम्मिय पाणग नि 3835, | 1297 उग्गमकोडी अवयव पिनि 191 व्य 4267 | 1472 उग्गमदोस गिहीतो . तु.पिनि 234 1295 आहाकम्मुद्देसिय पिनि 190 | 190 उग्गहितस्स तु ईहा व्य 4109 1095 आहाकम्मुद्देसिय नि 3250, | 2375 उग्गिण्णम्मि य गुरुगो , बृ 5104 पिनि 58, बृ 4275 | 428 उज्जाणरुक्खमूले नि 3879, 1137 आहाकम्मेण अहे पिनि 71 व्य 4315 2108 आहार-उवधि-सेज्जा बExxxI/९ राजनापती निग्लानी व्य 4033 1654 आहारेंति तवस्सी पिनि 316 | 2456 उद्वेज्ज णिसीएज्जा नि 2885 450 आहारे ताव छिंदाहि नि 3898, | 2081 उडुबद्धिगेसु अट्ठसु पंक 2573 व्य 4334 | 613 उदय-ऽग्गि-चोर-सावय नि 492 429 इंदियपडिसंचारो नि 3878, | 2074 उदुवासकालऽतीते . पंक 2566 व्य 4316 | 22 उद्देस समुद्देसे व्य 114 2548 इंदियपमाददोसा बृ५०२८ | 1200 उद्देसिगम्मि लहुगो नि 2022 406 इंदियाणि कसाए य नि 3858, | 1198 उद्देसियं समुद्देसियं तु.नि 2019, व्य 4294 तु.पिनि 97 1409 इक्खागवंस भरहो तु. पिनि 219/14 | 655 उद्धारणा विहारण व्य 4503 880 इच्छा-मिच्छा-तहक्कारो आवनि 436/1 | 523 उप्पण्णे उवसग्गे नि 3945, व्य 4398 2471 इड्डि-रस-सातगुरुगा बृ 4980/ 481 उप्फिडितुं सो कणगो व्य 4365

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