Book Title: Jeetkalp Sabhashya
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text
________________ 626 जीतकल्प सभाष्य नि 2880, 1641 एत्थ तु ततियचतुत्था पिनि 313/6 | 307 एवं सदयं दिज्जति व्य 4208 686 एमादीओ एसो . तु.व्य 4541 | 2156 एवं समाणिए कप्पे बृ६४७९ 419 एमेव दंसणम्मि वि नि 3870, | | 370 एवमसंविग्गे वी व्य 4265 व्य 4306 | 577 एवाऽऽणध बीयाई व्य 4450 2343 एमेव य इत्थीए / तु.बृ५०८० | 487 एवाऽऽहारेण विणा व्य 4371. 2036 एमेव य किचि पदं बृ६४१६ 2440 एस तवं पडिवज्जति 273 एमेव य पारोक्खी व्य 4179 व्य 549 2552 एयगुणसंपउत्तो बृ५०३१ | 162 / एसा अट्ठविधा खलु व्य 4082 615 एयण्णतरागाढे नि 493, व्य 4466 | 206 एसा खलु बत्तीसा .. . व्य 4124 423 / एवं आलोएंतो नि 3874, व्य 4310 | 559 एसागमववहारो व्य 4430 437 एवं खलु उक्कोसा नि 3886, | 654 / एसाऽऽणाववहारो व्य 4502 व्य 4323 एसो सुतववहारो व्य 4437. 653 ' एवं गंतूण तहिं व्य 4501 / 2464 ओभामितो ण कुव्वति व्य 1208 695 एवं जहोवदिट्ठस्स व्य 4550 | 1101 ओरालग्गहणेणं पिभा 16 2093 एवं णिव्वाघाते पंक 2585 / 1100 ओरालसरीराणं पिनि 62 644 एवं ता उग्घाते व्य 4493 | 2556 ओलोयणं गवेसण ..... बृ५०३६, 1471 एवं तु गविट्ठस्सा पिनि 233 व्य 1211 263 एवं तु चोइयम्मी व्य 4172 | 892 ओसण्णे दट्ठणं नि 308, बृ६०७६ 312 एवं तु भणंतेणं व्य 4213 ओसण्णे बहुदोसे व्य 4545 630 एवं तु मुसावाओ व्य 4482 ओही भवपच्चइओ नंदी 22/1 2346 एवं तु सो अवहितो तु.नि 2707, कंखा उ भत्त-पाणे व्य 4154 तु.६५०८१ | 382 कंचणपुर गुरुसण्णा नि 3846, 496 एवं तू णातम्मी व्य 4379 व्य 4278 631 एवं दप्पपदम्मी तु.व्य 4483 | 1230 कंतामि भणति पेलुं तु.पिभा 26 1981 एवं दुग्गतपहिया बृ 6368 | 1154 कक्कडिग अंबगा वा पिनि 78 311 एवं धरती सोही व्य 4212 | 2211 कज्जाऽकज्ज जताऽजत नि 6654, 582 एवं परिच्छिऊणं व्य 4455 व्य 171, 614 475 एवं पादोवगमं नि 3922, | 1316 कणग-रययादियाणं पिनि 194/2 प्रकी 1295, व्य 4359 / 898 कतरिं दिसिं गमिस्ससि नि 314, 1142 एवं लिंगेणं पी तु. पिनि 73/20 | बृ६०८५ | 238

Page Navigation
1 ... 818 819 820 821 822 823 824 825 826 827 828 829 830 831 832 833 834 835 836 837 838 839 840 841 842 843 844 845 846 847 848 849 850 851 852 853 854 855 856 857 858 859 860 861 862 863 864 865 866 867 868 869 870 871 872 873 874 875 876 877 878 879 880 881 882 883 884 885 886 887 888 889 890 891 892 893 894 895 896 897 898 899 900