Book Title: Jeetkalp Sabhashya
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 819
________________ तुलनात्मक संदर्भ : परि-३ 625 2533 उब्भामग वडसालेण नि 140, | 221 एगल्लविहारादी बृ 5022 | 215 एगल्लविहारे या 2557 उभयं पि दाऊण स पाडिपुच्छं बृ५०३९, | 2068 एगवसहीएँ पणगं व्य 1214 2049 उम्मग्गदेसए मग्ग.... पंक 1358, | 683 एगिदिऽणंतवज्जे बृ 6424 | 1184 एगेण कतमकज्जं 336 उवगरणगणणिमित्तं व्य 4234 | 2179 एगो तित्थगगणं 492 उवगरण-सरीरम्मि य . नि 3933, | 1640 एगो दवस्स भागो व्य 4375 | 387 एगो संथारगतो 484 उवगरणेहि विहूणो व्य 4368 2515 उवसंतो वि समाणो बृ५०१३ | 2101 एतं ठितम्मि मेरं 435 उव्वत्त दार संथार नि 3884, | 557 एतं पादोवगमं . व्य 4321 1603 उसिणस्स छड्डुणे देंतओ पिनि 301 / 254 एताऽऽगमववहारी 2063 उस्सग्गेण य भणितो पंक 2555 | 373 एते अण्णे य तहिं 2048 उस्सुत्तं ववहरेंतो पंक 1357, बृ६४२३ | 365 एते अण्णे य बहू 375 एक्कं व दो व तिण्णि व नि 3838, व्य 4270 | 2024 एते चेव य ठाणा 367. . एक्कं व दो व तिण्णि व नि 3831, | 1382 एतेण मज्झ भावो व्य 4262 305 एक्कासण पुरिमड्डा व्य 4206 | 139 एतेसिं ठाणाणं 326 एक्केक्कं तं दुविधं व्य 4226 | | 2059 एतेसिं पंचण्ह वि 1563 एक्केक्के चउभंगो पिनि 263/2 | 1575 एतेसि दायगाणं 2135 एगं कप्पट्ठियं कुज्जा बृ६४६३ | 661 एतेसु धीरपुरिसा 541 . एगंतणिज्जरा से नि 3952, | 2077 एतेहिं दोसेहिं .. 3963, व्य 4405, 4416 | 192 एत्तो उ पओगमती 1131 एगट्ठ एगवंजण पिनि 70/1 | 355 एत्तो एगतरेणं 378 एगम्मि उ णिज्जवगे तु.नि 3841, | 1624 एत्तो किणावि हीणं तु. व्य 4273 | 2517 एत्थं पुण अधिगारो व्य 4139 व्य 4133 पंक 2560, प्रसा 617 व्य 4538 पिनि 83/2 पंक 1484 पिनि 313/5 तु.नि 3848, तु.व्य 4280 बृ६४३७ नि 3976, व्य 4429 व्य 4162 नि 3836, व्य 4268 नि 3829, व्य 4260 बृ 6407 नि 4428, पिनि 211 व्य 4061 पंक 2551 पिनि 271 व्य 4509 पंक 2569 व्य 4111 व्य 4250 पिनि 311 बृ५०१५

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