Book Title: Jeetkalp Sabhashya
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 817
________________ तुलनात्मक संदर्भ : परि-३ 623 204 अहगुरु जेणं पव्वा..... व्य 4122 | 108 आदिगरा धम्माणं व्य 4034 396 अह पुण विरूवरूवे व्य 4288 | 175 आदेज्ज मधुरवयणो व्य 4095 899 अहमेगकुलं गच्छं नि 315, बृ 6086 | 2128 आपुच्छिऊण अरहंते बृ 6457 2066 अहलंदियाण गच्छे पंक 2558, | 350 आयंबिल उसिणोदेण व्य 4246 प्रसा 6155 आयप्परपरिकम्म नि 3937, 1525 अहव ण सचित्तमीसो पिनि 251/1 व्य 4392 176 अहवा अफरुसवयणो तु. व्य 4096 | 1993 आयरिए अभिसेगे पंक 1297, 2418 अहवा अभिक्खसेवी बृ५१२७ बृ६३७७ 668 अहवा जेणऽण्णइया . व्य 4515 | 165 आयरिओ य बहुस्सुत व्य 4085 420 अहवा तिगसालंबेण नि 3871, | 408 आयरियपादमूलं नि 3859, व्य 4307 व्य 4295 2173 अहवाऽऽभिणिबोहीयं / पंक 1451 / 1427 आयवयं च परवयं नि 1042, 119 अहवा-वि कायमणिणो व्य 4044 पिनि 222/1 1090 अहवा वि लड्डगादी पिनि 57 | 2079 आयारपकप्पम्मी पंक 2571 362 . अहवावि सव्वरीए व्य 4257 | 246 आयार विणयगुण कप्प.... नि 3865, 383 . अहवा वि सो व्व परतो नि 3844, पंक 1310, मूला 387, व्य 4276 व्य 4301 134 अहवा सहसऽण्णाणा व्य 4056 | 163 आयारसंपदाए व्य 4083 96 अह सव्वदव्वपरिणाम.... आवनि 74, | 161 आयार-सुत-सरीरे प्रसा 542, नंदी 33/1 व्य 4081 आगमतो ववहारो व्य 4029 / 214 . आयारे विणयो खलु व्य 4132 1971 - आचेलक्कुद्देसिय पंक 1271, | 213 आयारे सुत विणए व्य 4131 बृ 6364 | 171 आरोह-परीणाहो व्य 4091 1975 आचेलक्कुद्देसिय बृ 6362 | 172 आरोहो दिग्घत्तं व्य 4092 1983 आचेलक्को धम्मो बृ 6369 | 869 आलत्ते वाहित्ते तु.नि८६३ 1183 आणं सव्वजिणाणं पिनि 83/1 | 2442 आलावण पडिपुच्छण नि 2881, 2344 आणादऽणंतसंसारि..... बृ५०७९ बृ५१३७,५५९८,व्य 550 1664 आतंके उवसग्गे उ 26/34, 127 आलोइय-पडिकंते व्य 4052 ओभा 292, ठाणं 6/42, पिनि 320, | 274 आलोयण पडिकमणे व्य 4180 प्रकी 788, प्रसा 738, मूला 480 | 282 आलोयण पडिकमणे व्य 4185 9 .

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