Book Title: Jeetkalp Sabhashya
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
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________________ पदानुक्रम : परि-१ 561 923 573 1953 1339 822 802 1355 834 1388 2319 1123 2386 404 1571,1580 788 बहुदोसे माणुस्से 1046 | बीभेति सजातीए बहु बहुविह पोराणं 191 | बेति गुरू अह तं तू बहुमाणे अइयारो 1004 बेति गुरू लद्ध च्चिय बहुविहऽणेगपगारं 188 बेति जणो केणेयं बहुसुत-जुगप्पहाणो 168 बेति ण याणामो ती बहुसुत परिजितसुत्ते 167 | बेति पडतो मिच्छामि.... बहुसो बहुस्सुतेहिं 677 | बेति फुडं चिय सुकतं बादरपाहुडिया विय 1233 / बेति य गिलाणो पडितो बायालमेसणाओ 825 / बेति व एरिस दुक्खं बायालीसेसणसंकडम्मि 1608 बेती झामित उवधी बारसम दसम अट्ठम / 1857 | बेती परकडभोयिण बारसमम्मि य वरिसे 351 बोहिभयसावगादिसु बाल-गिलाणादीणं 832 | भंडी बइल्लए काए बाले वुड्ढे मत्ते 1569, 1577, 1707 | भज्जेंती य दलेंती बावीस आणुपुव्वी 539 भज्जुब्भामिग पल्लंक बाहिरओं सरीरस्सा 2166 भणइ य दिट्ठ णियट्टे बितिओ दुपेहसुपमज्ज... 812 भणति य राया संघ बितिओ य तहिं भणितो 2402 भणित अपरिणतमेतं बितिओ साणादीणं 1222 भणितं च जिणिंदेहिं बितियं कज्जं कप्पो 632 भणितं वंजणमक्खर बितियद्दार समत्तं 932 भणितं संगालेतं बितियपद अण्णगच्छा 2457 भणितं सधूममेतं बितियपदं पाऽऽहारे 2365 भणितेस चुण्णपिंडो बितियपदं वोच्छेदे 2345 भणितोट्ठितो त्ति होही बितियपद खुड्डु विणयं 2377 | भणितो य णिण्हगाणं बितियपदे जो तु परं 598 भणितो सउणि हगंतो बितियपदे वाएज्जा 2605 भण्णति जह णवदसमे बितियपरित्ताणंतर.... 1718 भण्णति जुवरायादी बितियवय-ततिय-पंचम 905 भण्णति परप्पउत्तं बितियस्स य कज्जस्सा 627, 652 | भण्णति संकितभावो बितियाणंताऽणंतर... 1717 भण्णति सेज्जा वसही बीएण गहित संकित 1480 | भत्तं पाणं असणं 895 2576 1594 1667 1008 1649 1655 1458 1227 2039 2401 2423 2208 1122 1489 959 981

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