Book Title: Jeetkalp Sabhashya
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 765
________________ परिशिष्ट-२ 573 cm * 3 574 591 591 ; 592 ** कथाएं : विषय-सूची संस्कारों का प्रभाव: | 25. भाषा समिति : साधु तिलहारक दृष्टान्त। की जागरूकता। 588 संघ सहित अनशन। 573 | 26. एषणा समिति : नंदिषेण कथानक। 589 द्रव्य-संलेखना। 574 | 27. आदान निक्षेप समिति : आज्ञा का महत्त्व। 574 प्रतिलेखना क्यों? संग्राम द्वय : महाशिला परिष्ठापना समिति : कंटक और रथमुशल। मुनि धर्मरुचि। दुर्भिक्ष : कौशलक श्रावक। 576 29. प्रतिसेवना : चोर-दृष्टान्त। आचार्य स्कंदक। 576 | 30. प्रतिश्रवण : राजपुत्र-दृष्टान्त। 592 चाणक्य का अनशन। 577 संवास : पल्ली-दृष्टान्त। चिलातपुत्र की समता। 578 | 32. अनुमोदना : राजदुष्ट-दृष्टान्त। 593 कालासवैशिक का उपसर्ग। 579 33. आधाकर्म : शाल्योदन-दृष्टान्त। 593 बांसों के झुरमुट की वेदना। 580 | 34. आधाकर्म : पानक-दृष्टान्त। 594 12. अवंतीसुकुमाल। 580 35. . नूपुरपंडिता। 595 युवक-समूह का अनशन। | 36. आधाकर्म की अभोज्यता : अनशन में म्लेच्छ का उपद्रव।। 581 वमन-दृष्टान्त। 597 शिष्यों की परीक्षा। आज्ञा की आराधना-विराधना : प्रवचन की प्रभावना। उद्यान द्वय दृष्टान्त। 598 ____ आर्य वज्र द्वारा श्रावक का उद्धार। 582 द्रव्यपूति : गोबर-दृष्टान्त। 599 आर्य वज्र की दीक्षा। अनिसृष्ट दोष : लड्डुक-दृष्टान्त। 599 आरक्षित द्वारा पिता की दीक्षा। 585 | 40. दूती दोष : धनदत्त कथा। 600 मनोगुप्ति : जिनदास कथा। 587 | 41. निमित्त दोष : ग्रामभोजक-दृष्टान्त। 601 वचनगुप्ति : साधु का वाक्संयम। 587 चिकित्सा दोष : सिंह-दृष्टान्त। 602 कायगुप्ति : स्थण्डिल भूमि क्रोधपिण्ड : क्षपक-दृष्टान्त। 602 की यतना। 588 | 44. 588 मानपिण्ड : सेवई-दृष्टान्त। 602 कायगुप्ति : देव-परीक्षा। 588 | 45. मायापिण्ड : आषाढ़भूति कथानक। 604 24. ईर्यासमिति : अर्हन्नक साधु की लोभपिण्ड : सिंहकेशरक मोदकसजगता। दृष्टान्त। 607 581 581 582 583 22. 588 /

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