Book Title: Jeetkalp Sabhashya
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 748
________________ 554 जीतकल्प सभाष्य 1180 1094 2488 505 126. 1668 2337 2398 973 966:. 1045 2541 1201 . . 2062 तीय विभासा इणमो तीसं पदाऽवराहे तीसा य पण्णवीसा तुच्छत्तणेण गव्वो तुम्हेहि गहित मुक्को तुल्लम्मि वि अवराधे तुसिणीए हुंकारे ते अतियारा सुहुमा ते अभिगत अणभिगता ते उद्वेत्तु पलाणा ते च्चिय एत्थ वि दोसा तेण तु तहियं थाणे तेण य गीतत्थेणं तेण य संविग्गेणं ते णिच्चमप्पमत्ता तेणेव गुणेणं तू तेणेहि गहित मुसिता ते तु जदा उवउत्तो ते तेण परिच्चत्ता ते पंचहा वणीमग ते पुण जहा तु एक्काए ते पुण मंडलियाए तेमासे पण्णरसे ते य ठित एगपासे तेल्लस्स उ गंडूसं ते सव्वे विउलमती तेसिं अब्भुट्ठाणं तेसिं गुरूण उदएण तेसु त्ति कारणेसुं तेहि भणिता य वच्चह तेहि य सगिहे णे तो उग्गेण तवेणं 862 तो खेलमल्लगम्मी 2075 तो चरणसुद्धिहेतुं 1841 तो ठवित गणिं गच्छे 2017 | तो णाउ वित्तिछेदं 794 | तो तस्स उ पच्छित्तं तो बंभरक्खणट्ठा 870 तो बेति अण्णपासं 738 | तो वच्च ते वणीए 2201 | तो सज्झायणिमित्तं 302 थंडिल्लअभावा वा 1374 | थिरिकरणा वि य दुविधा 2410 थीणद्धिमहादोसो 369 थीणद्धिमादियाणं 377 थी लहुमासा गुरुगा 2254, 2259 थेराण अत्थि खेत्तं | थेराण सत्तरी खलु 793 थेरा वि विसुद्धतरा 734 | थोवे थोवं छूढं 301 दंसण अणुम्मुयंतो 1363 दसण-णाण-चरित्ते / 2088 | दंसणणाणप्पभवं 2086 | दंसणपभावगाणं 2243 दंसणयारो अट्ठह 1338 दंसणवंते ततिए 352 दट्ठ महल्लमहीरुह 85 | दट्ठण णिण्हगे तू 205 दड्डमितरस्स सव्वं दत्तेणं णावाए 1720 दप्प अकप्प णिरालंब 1464 दप्पपडिसेवणाए 1465 दप्पियसेवाए तू 2455 दप्पेणं पंचिंदिय..... 180 2098 2262 1567 633 601,950,1043 1092 603 1038 2031 571 2038 2404 1114 486 589 2270 625 57

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