Book Title: Jeetkalp Sabhashya
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
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________________ 557 2096 996 975 1729 2175 531,532 2144 1447 1984 1466 220 2602 | 461 432 2123 63 पदानुक्रम : परि-१ निवदिक्खितादि असहू निसिभत्त सेस तिविधं नेहादि तवं काहं नोइंदियपच्चक्खो पंकसलिले पसादो पंचज्जामो धम्मो पंच णियंठा भणिता पंचदिणेहिं गतेहिं पंचम पत्ता पिहुडं पंचमहव्वयभेदो पंचमिएँ काइभूमादि पंचविध धातिपिंडे पंचविधे ववहारे पंचविधो ववहारो पंचविहाए नियमा पंचसता जंतेणं पंच सता वीसाए पंचिंदि घट्ट तावण पंचेंदियसंघट्टे पंचव संजता खलु पकामं च निकामं च पक्खियमतिकामेंतो पक्खे य पोसधेसुं पच्चक्खव्ववहारी पच्चक्खागमसरिसो पच्चक्खी पच्चक्खं पच्चक्खो वि य दुविधो पच्चाह गुरू ते तू पच्छा णातमणुग्गत पच्छादतिग पडिग्गह पच्छासंथवदोसा पच्छिय-पिहुडादिऽतिरं 612 पज्जोसवणाकप्पो 1085 पट्ठवणपडिक्कमणे 605 पट्ठवणुद्दिसणे या पडलय रयहरणं वा 90 पडिगहधारि जहण्णो 2019 पडिणीययाएँ कोई 281 पडिपुच्छं वायणं चेव 2279 पडिमंतथंभणादी 1532 पडिमाएँ पाउया वा पडिलाभित वच्चंता 609 पडिलेहण-पप्फोडण 1324 पडिलेहण संथारं 2125 पडिलोमाणुलोमा वा पडिवज्जंति जिणिंदस्स 780 पडिवयमाणो ओही 529 पडिवाति अपडिवाती 993 पडिविजथंभणादी 685 पडिसेवणअणवट्ठो 1073 पडिसेवण पडिसुणणा 285 पडिसेवणपारंची 1625 पडिसेवणाएँ तेणा पडिसेवणातियारा 218 पडिसेवणातियारे 109 पडिसेवति विगतीओ 110 पडिसेवी अणवट्ठो 121 पडिहाररूवी! भण रायरूवी 10 पडुपण्णऽणागते या 578 पढमं उस्सग्गपदं 969 पढमं ठाणं दप्पो 1730 पढमगभंगे वज्जो 1430 पढम-ततिए ण कप्पे 1551 पढम बितिएसु कप्पे 1443 2307 1128 2479,2582 1129 421 143, 144 418 2429 2568 1349 949 629 2000 1164 427

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