Book Title: Jeetkalp Sabhashya
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 747
________________ पदानुक्रम : परि-१ 553 266 2241 846 2447 तलिगा खल्लग वज्झे तवअणवठ्ठो दुविधो तवअणवट्ठोऽऽसायण तवगव्वितमादीया तवगव्वितादिगेसु य तवगव्वितो तवस्स य तव-णियम-णाणरुक्खं तवबलिओ देह तवं तवहेतु चतुत्थादी तवो बारसहा होति तसपाण-बीयरहिते तस्स इमं पच्छित्तं तस्स इमे भेदा खलु तस्स कड तस्स निट्ठिततस्सट्ठगतोभासण तस्स तु उद्धरिऊणं तस्स तु ण उवट्ठवणा तस्स त्ती तस्सेव उ तस्स पुण संभवो ऊ तस्स य चरिमाहारो तस्स.य परिहारतवं तस्स य भगिणीपुत्तो तस्स य वारुणि भज्जा तस्सोदयकालम्मी तह चेव भत्तपाणं तह धितिसंघयणोभय... तह वि असंथर कोयव तह वि असंथरमाणे तह समणसुविहिताणं तहियं तु विसयदुट्ठो तहियं होति चतुलहू ता चेव य णवकोडी 1774 | ताणि धरंती अज्ज वि 2427 ता णेतव्व कमेणं 2428 | ताहे अभित्थुणित्ता 2292 ताहे आसासेती 84 ताहे खुड्डग खुड्डी 80 ताहे णित्थिण्णतवो 574 ताहे तु जहासत्तिं 1794, 2282 ताहे परलिंगीण वि 1669 ताहे य परिहरिज्जति 1751 ता होंति अणंताओ 521 तितिणिआदि अपत्तो 1064 तिक्खुत्तो सक्खेत्ते 1987 तिण्णि तु वारा किरिया 1157 तिहं ती णाणादी 379 तित्थंगरपडिकुट्ठो 673 तित्थकरं संघं वा 2407 तित्थकरं संघ सुतं 231 तित्थगरपढमसीसं 1175 तित्थगर पवयण सुतं 438 तित्थगर पवयणे वा 2437 तिरियं उज्जुमती तू 2397 / तिलहारगदिटुंतो 827 तिविधं अतीतकाले 2534 तिविधं तु वोसिरिहीइ 2342 तिविधं पुण अच्छेज्जं 70 तिविधेवं णिसिभत्तं 460 तिविधो तु होति उवधी तिविधोवधि विस्सरिते 952 तिविहोवधिमुग्गमितुं. 2545 तिविहोवहिणो विच्चुत 2362 तिसमयऽऽहारादीणं 1290 तीय कतं आउत्तं 2370 2460 1304 2367 2441 31 1026 1997, 2014 503 415 1994 2475 2304 2477 94 1052 79 308 585 444 1274 1086 1727 1734,1735 1739 459 46 60 1344

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