Book Title: Jeetkalp Sabhashya
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 735
________________ 541 263 312 630 61 2315 2346 2446 496 946 631 1981 2601 311 1895 एवं शिश 542 407,582 पदानुक्रम : परि-१ एवं आलोएंतो एवं खलु उक्कोसा एवं खु इंदिएहिं एवं खेत्तमुसं पी एवं गंतूण तहिं एवं गवेसणाए एवं चिय पत्तेयं एवं चिय पुरिमटुं एवं छा आलत्ते एवं जहाणुरूवा एवं जहोवदिट्ठस्स एवं जेहिं तु संलीढो एवं झामणहेतुं एवं ठाणे ठाणे एवं णदिवुब्भंते एवं णाऊण ततो एवं णिव्वाघाते एवं तस्स तु संघो एवं ता आहारे एवं ता उग्घाते एवं ता उवधिम्मी एवं ता ओसण्णे एवं ता ओहेणं एवं ता कारणिए एवं ता कोसलगे एवं ता जो णिज्जति एवं ताऽणागाढे एवं ताव अडझंते एवं तु उवट्ठवितो. एवं तु करेंतेणं एवं तु गविट्ठस्सा एवं तु गुणसमग्गो 475 423 | एवं तु चोइयम्मी 437 एवं तु भणंतेणं 18 एवं तु मुसावाओ 1077 एवं तु वड्डमाणो 653 | एवं तुवस्सयाओ 1312 एवं तु सो अवहितो 29 एवं तू ठवणाए 1059 एवं तू णातम्मी 871 एवं तू दुब्भासित एवं दप्पपदम्मी 695 एवं दुग्गतपहिया 405 एवं देज्जा सुपरिक्खि... एवं धरती सोही एवं धिति-बलजुत्तो 2452 एवं परिच्छिऊणं 1229 एवं पादोवगमं 2093 एवं बितियस्सा वि हु 2585 एवं बीतिज्जस्स वि 2355 एवं बुद्धीए तू एवं भासी ते तू 2327 एवं मासलहुं तू 2412 एवं लिंगेणं पी 1056 एवं वसिकरणादिसु 775 एवं सदयं दिज्जति 506 एवं समाणिए कप्पे 2341 एवं सयडोयीए 1023 एव जहुद्दिट्ठाणं 2323 एव जहुद्दिढेसुं 2050 एव थिरीकरणं तू 2390 एवऽद्धाणाईए 1471 एव भणितो तु संतो 2435 एव भणेज्जहि खंती 628 626 1143 397 1206 1142 1456 307 2156 1211 2289 940 1060 1745 2449 1333

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