Book Title: Jeetkalp Sabhashya
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
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________________ 548 जीतकल्प सभाष्य 75 692,693 2046 874 530 - 721 313 1526 761 ...594 छहिं कारणेहिं साहू छायं पि विवज्जेंती छिंदंति एव सागं छिंदतु व तं भाणं छिज्जंते परियाए छेदण-भेदणमादी छेदणे वण्णणे चेव छेदादिमसद्दहओ छेदावत्तीओ वा छेदेणापरियाए छेदो दोमासीए छेदोवट्ठावणिए छेलिय सेण्टा भण्णति जइ आगमो य आलोयणा जइ जीतपच्चवाया जइ होज्जा आयरिओ जं इह परलोगे या जंकायचे?मेत्तेण जं किंचि दव्व गहितं जं किंचि पाडिपुच्छं जंघद्धा संघट्टो जंचऽण्णं करणिज्जं जं चऽण्णमवुत्तं ती जं छउमत्थियणाणं जंजण भणितमिहइं जं जं ति होति मिच्छा जं जत्तिएण सुज्झति जं जम्मि होति काले जं जह मोल्लं रयणं जं जीतं सावज्ज जं जीतं सोधिकरं जं जीतदाण भणितं 1657 | जंजीतदाणमुत्तं 1168 | जं जीतमसोहिकरं 1499 | जं जो तु समावण्णो 649 | जंते पडिसंसाहण 2301 जंतेहिं करकएहि व 910 | जं पाव सेवितूणं 2593 | जं पि य हु एक्कवीसं जं पुण अचित्तदव्वं 2285 जं पुण हत्थसयाओ जं सेवितं तु बितियं 2244 | जक्खाइट्ठसरीरो 287 | जच्चादिमदुम्मत्तो 1725 जडुत्तणेण हंदी 147, 148 जड्डो व पदोसगतो 2127 जणसावगाण खिंसण 2555 जतणाजुतो पयत्तव 232 जति दोसे होअगतं | जत्तिएण गणो ऊणो . 722 जत्तियमेतं कालं 2448 जत्थ तु ततिओ भंगो जत्थ तु थोवे थोवं जत्थुप्पज्जति दोसो 758 | जत्थुप्पण्णो दोसो 105 | जदि अत्थि ण दीसंती 60 | जदि आगमो य आलोयणा 1797 जदि छुब्भती विणस्सति 257 | जदि णामं गिण्हेज्जा 203 | जदि ताव सावयाकुल 118 जदि संका दोसकरी 687 | जम्मं दुविधं होती 694 जम्मि पडिसेवितम्मी 2269 | जम्हा एतेऽत्थ गुणा / 939 1002 2021 1282 1463 . 666 2055 2138 91, 100 1145 1564 2513 723 979 1403 465 1488 1986 726,727 717

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