Book Title: Jeetkalp Sabhashya
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
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________________ 546 जीतकल्प सभाष्य 2228 गाहापच्छद्धेणं गाहापच्छद्धेण तु गाहापुव्वद्धस्स तु गिण्हणे गुरुगा छम्मास गिण्हसु जावइएहिं गिम्ह-सिसिर-वासासू गिम्हासु अट्ठमं देज्जा गिम्हासु चतुत्थं देज्जा गिम्हासु छटुं देज्जा गिरि राहु-मेह-महिया गिहवासे वि वरागा गिहिलिंग अण्णउत्थिय गिहिवेसमकाऊणं गीतत्थदुल्लभं खलु गीतत्थमगीतत्थं गीतत्थो कडजोगी गुणपच्चइओ ओधी गुणसंथवेण पच्छा गुणसंथवेण पुव्वं गुत्तीदारं भणितं गुत्ती समितिपमादे गुत्तो होति कहण्णू गुपु रक्खणम्मि गुत्ती गुरवो आयरिया तू गुरुआसायण भणिता गुरुगं च अट्ठमं खलु गुरुगतरा गिम्हेसुं गुरुगतरा वासासुं गुरुगतरा सिसिरेसुं गुरुगे गिम्ह जहण्णे गुरुगे वास जहण्णे गुरुगे सिसिर जहण्णे 713,753 गुरुगो गुरुगतरागो 1832,1838 1761 गुरुगो चतुलहु चतुगुरु 2340 2371 गुरुगो य होति मासो 1840 2357 गुरुपक्खे उक्कोसा 1847 2400 गुरुपक्खे छम्मासो 1848 67 गुरुपक्खे जहण्णम्मि 1914 . 1828 गुरुपक्खो लहुपक्खो 1846 1826 गुरुपणगे आढत्ते 1827 | गुरुभत्तिमं जो य मणाणुकूलो 2493 968 गुरुमासो चतुमासो . .. 1834,1899 2354 गुरुमासों दुण्णि मासा 1903 2298 गुरुराह जो पमत्तो 1124 2461 गुरुराह तत्थ चेट्ठा 737 368 गुरु-लहु-लहुसगपक्खे 1851 477 | गुरुसंघाडम्मि गते 2331 2267 | गुरुसंसट्टव्वरितं 2495 34 गुरु सिट्ठ मोत्तुमातो 1404 1434 गुरु सिसिरेऽत्थ जहण्णे , 1873 | गेलण्णम्मि तु दोहे 1782 गो-महिस-अया-एलग 1773 गोम्मियगहणा हणणा 2011 786 गोरससंसत्ते या 1509 घत-गुलसंजुत्ता वि य 1397 861 घरकोइलसंचारा 1267 872 घरवित्तंतनिमित्तं घासेसणा तु भावे 1609 1871, 1933 घेतूण भारमागतों 1956 1869, 1915 घोसा उदत्तमादी 1870,1924 चउकण्णम्मि रहस्से 551 1874, 1932 चउगुरुगेऽभत्तटुं 1255 1872 चउ-तिग-दुगकल्लाणा 306 1923 चउरो अतिक्कम वतिक्कमे . 1174 784 1345 1842 170

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