Book Title: Jeetkalp Sabhashya
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 736
________________ 542 जीतकल्प सभाष्य 850 1020 1817 2094 2512 2032 565 1311 851 2464 1101 1100 2556 1731 2425 487 89 एवमणाभोगेणं एवमदत्तपरिग्गह एव ममत्त करेंते एवमसंविग्गे वी एवमिहमाहकम्म एव मुसावादादिसु एव मुसावादादी एव विगिंचिंतऽसढो एवऽसणे कम्मं तू एवाऽऽणध बीयाई एवासासो तस्स वि एवाऽऽहारेण विणा एस तवं पडिवज्जति एस पमादो भणितो एस पसंगाभिहितो एसा अट्ठविधा खलु एसा उ पओगमती एसा कप्पियसेवा एसा खलु बत्तीसा एसाऽऽगमववहारो एसा जिणकप्पठिती एसाऽऽणाववहारो एसा दप्पियसेवा एसाऽऽदेसो एक्को एसा पच्चक्खाणे एसा बितिय तिगिच्छा एसा विसोधिकोडी एसा संजमसेढी एसो अज्झोयरओ एसो अट्ठविगप्पो एसो अप्पडिवाई एसो कसायदुट्ठो 2040 | एसो गज्झो एत्थं 1078,1081 एसो तदुभयभेदो 1067 एसो तु अक्खरत्थो 370 एसो तु मासकप्पो 1134 एसो पढमगभंगो 990,1082 एसो बितियादेसो 942 एसो सुतववहारो ओगाहिते पडिग्गह 1151 ओभामितो ण कुव्वति 577 ओरालग्गहणेणं 2454 ओरालसरीराणं ओलोयणं गवेसण 2440 ओवग्गहिओ तिविधो 817 ओसण्णमादिया तू 703 ओसण्णे दट्टणं 162 ओसण्णे पव्वावित 197 ओसण्णे बहुदोसे 616 ओह-विभागुद्देसो... 206 ओहिय ओवग्गहिओ 559 ओही भवपच्चइओ . 2180 ओहुद्देसविभागे 654 ओहेण एस भणितो 600 ओहे मासलहुं तू 2216 ओहो तत्थ इमो खलु ओहो सामण्णं तू 1389 कंखा उ भत्त-पाणे 1296 कंचणपुर गुरुसण्णा कंजियमादीगहणं 1286 कंजियरुक्खाहारो 1068 कंतामि भणति पेलु 67 कंदप्पादी तु पदा 2506 कक्कडिग अंबगा वा 2297. 690 x0 73 1700 1845 1196 771 1024 238 382 1300 1821 1230 931 1154

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