Book Title: Jeetkalp Sabhashya
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 728
________________ 534 जीतकल्प सभाष्य 867 824 1629 176 2418 961 1359 668 2202 .420 2 2453 2252 2416 2173 1010 671 अहगुरुगे वासासू अहगुरुगे सिसिरेसुं अहगुरु जेणं पव्वा.... अह णेच्छति तो संघो अह ताव सावगो तू अह पुण जदि होज्जाही अह पुण ण तरेज्ज गुरू अह पुण ण संथरेज्जा अह पुण भण्णति एवं अह पुण विरूवरूवे अह पुण साहम्मि त्ती अह भण्णति मा बीभे अहमेगकुलं गच्छं अहयं तु काइयाडो अहलंदियाण गच्छे अहलहुगा वासासुं अहलहुगे गिम्हासुं अहलहुगे वासासुं अहलहुयग गिम्हेसुं अहलहुयग सिसिरेसुं अहलहुसग गिम्हासुं अहलहुसग लहुसतरो अहलहुसग वासासुं अहलहुसग सिसिरासुं अहलहुसग सिसिरेसुं अहव अगीतणिमित्तं अहव गिलाणस्सट्ठा अहव ण जाती दव्वं अहव णमुक्कारादी अहव ण संभरती तू अहव ण सचित्तमीसो अहव तिमो लहुसादी 1866 | अहव तिहा आसायण 1867,1925 | अहव य भासति कज्जे 204 | अहवा अतिप्पमाणो | 2536 | अहवा अफरुसवयणो 1152 | अहवा अभिक्खसेवी 509 | अहवा छेदसुतादी 2562 | अहवा जं सिक्खिज्जति 1307 अहवा जेणऽण्णइया 2451 अहवा णिरवेक्खितरा 396 अहवा तिगसालंबेण 1066 अहवा पगतपसत्थं अहवा पुरिसा दुविधा अहवा भिक्खू पावति 858 अहवाऽऽभिणिबोहीयं 2066 अहवा मत्ता बिंदू 1881 अहवा वि इमे अण्णे 1883 अहवा वि इमो अण्णो 1911 अहवा वि कायमणिणो अहवा वि दुगुंछा ऊ 1882 अहवा वि पूयपूया . 1892,1926 अहवा वि रोगियस्सा 1831 | अहवा वि लड्डगादी 1890 | अहवा वि वदे एवं 1891 अहवा वि समतिरित्तं 1917, 1920 अहवावि सव्वरीए 2586 | अहवा वि सो व्व परतो 742 अहवा वी णिव्विगती 1619 अहवा सहसऽण्णाणा 1749 अहवुच्चरती काइय 1788 | अह सव्वदव्वपरिणाम... 1525 अह साह किलामिज्जति 1897 | अह सो गतो सदेसं 1929 | 904 119 1040 1380 2382 1090 866 1813 362 383 2248 134 816

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