Book Title: Jeetkalp Sabhashya
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
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________________ पदानुक्रम : परि-१ 533 470 883 1377 2018 1105 2212 10 906 178 2170 66,69 391 1748 2001 अपरीणामगमादी अपसत्था उववूहा अपसत्थियभावुप्पाद.... अप्पग्गंथ महत्थो अप्पच्छित्ते य पच्छित्तं अप्पडिलेहितदूसे अप्पडिविरयोसण्णो अप्पत्तम्मी ठवितं अप्पत्तो दुविधो तू अप्पा मूलगुणेसुं अप्फासुपुढविमादी . अब्भत्थितो सयं वा अभिंतरअतिसेसो अब्भुज्जतं विहारं अब्भोज्जे गमणादी . अभिगत कत अकते या अभिघातो वा विज्जू अभिधाणहेतुकुसलो अभिसेगं तो पेसे अभिसेगो उज्झाओ . अभिसेगो सव्वेसु य अमणुण्णेसणसुद्धं अममत्त-अपरिकम्मो अमयमिव मण्णमाणो अमुगो अमुगत्थकतो अम्हे कारावेमो अरह पूयाएँ धातू अलभंता य वियारं अल्लीणा णाणादिसु अवधी मज्जायत्थो अवराहं वियाणंति अवरो वि फरुसमुंडो अवरो विवाडितो मत्त.... अवरो वि सिहरिणीए 181 | अवसेसा अणगारा 1044 अवस्सगमणं दिसासु 1318 अवि णाम होज्ज सुलभो 2606 अवि य हु पुरिसपणीतो 2047 अवि य हु विवाहमंगे 1771 अविसिट्ठा आवत्ती 90 अविहीय कास-जंभिय 1235 अविही हत्थमदातुं 1025 अव्वत्तं अफुडत्तं 773 अव्वावण्णसरीरा 1258 असंखेज्जाइँ अलोगे 2577 | असंथरं अजोग्गो वा 2169 असणादी चतुभेदो 2472 असणादीया चतुरो 1190 अस भोयणम्मि अहवा 2233 | असमत्तकप्पियाणं 507 असमत्थों संजमस्स उ 2567 असहू सुत्तं दातुं 2563 असिलोगो त्ति इ अयसो 2420 असिवादीहि वहंता 88 असिवे ओमोदरिए 1636 असिवे पुरोवरोधे 2064 असिवोमादीएसु तु 840 असुभ सुभो वा भावो 679 असु वावण धाऊओ 270 अस्संजमजोगाणं 982 अस्संजयतेगिच्छे 2009 अस्सद्दहणा देवस्स 665 अस्सुट्ठिता भणंती 35 अह अरहण्णगसाधू 130 अह उस्सग्गेऽववायं 2531 | अह एत्तो वोच्छामी 2532 अहगुरुगे गिम्हासुं 2489 अहगुरुगे वासासुं 768 1670 2558 927 386 765, 1991 2393 385 1937 12 1392 1391 833 1228 819 2188 2372 1868,1934 1916

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