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शासनव्यवस्था के उच्चाधिकारी-पद तथा कार्य १११, स्त्री कर्मचारी १२४, ग्रामप्रशासन और ग्रामसंगठन १२४, ग्रामप्रशासन के सन्दर्भ में महत्तर/ महत्तम एवं कुटम्बी १२५, महत्तर/महत्तम १२६, कुटुम्बी १३४, राजाओं तथा मंत्रियों की ऐतिहासिक वंशावलियां १४२, चाहमान वंशक्रम १४२, चालुक्य वंशक्रम १४४, मंत्री वस्तुपाल तथा तेजपाल का वंशक्रम १४५, निष्कर्ष
तृतीय अध्याय युद्ध एवं सैन्य व्यवस्था
१४८-१८८ युद्धों की राजनैतिक पृष्ठभूमि १४८, युद्धों के कारण १४८, युद्ध सम्बन्धी दूतप्रेषण एवं पत्रव्यवहार १४६, दण्डनीति के अनुसार युद्ध की पृष्ठभूमि १५०, युद्धनीति तथा मन्त्रिमण्डल द्वारा विचार विमर्श १५०, सैन्य प्रशासकीय व्यवस्था १५३, सेना की परिभाषा तथा स्वरूप १५४, सेना के प्रकार १५५, युद्ध धर्म १५६, युद्धप्रयाण के अवसर पर शकुन-अपशकुन विचार १५७, युद्धप्रयाण तथा सेना सञ्चालन १५८, सेना के साथ जाने वाली स्त्रियां आदि १५६, युद्धप्रयाण सम्बन्धी अनुशासनहीनता १६०, सैनिक शिविर व्यवस्था १६०, सैनिक मनोरञ्जन एवं भोगविलास १६१, सैन्य पशुनिवास व्यवस्था १६२, युद्धों के भेद १६२, दृष्टि युद्ध १६३, वाग्युद्ध १६३, भुज युद्ध १६३, पदाति युद्ध १६३, रथ युद्ध १६४, अश्व युद्ध १६४, गज युद्ध १६४, दुर्ग युद्ध १६४, पुलिन्द युद्ध १६५, गुरिल्ला युद्ध १६६, योद्धाओं का दाह संस्कार १६७, पाहत योद्धाओं की प्राथमिक चिकित्सा १६७, प्रायुध वर्णन १६८, आयुध विभाग १६८, आक्रमणात्मक प्रायुध १६६, मुक्तवर्ग के आयुध १६६, उपकरणात्मक आयुध १८०, सुरक्षात्मक प्रायुध १८०,दिव्यास्त्र १८०, युद्ध में बारूद एवं ‘एटमबम' का प्रयोग १८६, प्राग्नेयास्त्र निर्माण की रासायनिक विधियां १८२, युद्धोपयोगी वाद्य यंत्र १८४, भारतीय सैन्य शक्ति के क्षीण होने के कारण १८५, निष्कर्ष १८७ ।
चतुर्थ अध्याय
अर्थव्यवस्था एवं उद्योग-व्यवसाय १८६-२४१ १. अर्थव्यवस्था
१८६-२०६ आर्थिक संस्था तथा अर्थव्यवस्था १८६, आर्थिक संस्था तथा भारतीय प्रार्थिक विचारक १६०, सम्पत्ति उपभोग और जैन परम्परागत नवनिधियाँ १६२, चतुर्दश रत्न २६४, मध्यकालीन अर्थव्यवस्था का स्वरूप १९४, प्रात्मनिर्भर आर्थिक इकाइयां १९४, भूमिदान १६५, जैन संस्कृत महाकाव्यों में मध्यकालीन