________________ अध्याय -1 जैन इतिहास की उत्पत्ति एंव विकास छठी शताब्दी ई०वी० से बारहवीं शताब्दी ई०वी० तक हिन्दू परम्परा में इतिहास का उल्लेख अत्यन्त ही प्राचीनकाल से पाया जाता है। छान्दोग्य उपनिषद (7/1) के भाष्य में आचार्य शंकर ने स्पष्ट रुप से इतिहास एंव पुराण के. पार्थक्य को स्पष्ट किया है। शंकराचार्य की दृष्टि में प्राचीन आख्यान तथा आख्यायिका सूचक भाग इतिहास है। इतिहास प्राचीन आख्यानों का वर्णन करता है, पर वह तिथिकम एंव घटनाओं का संकलन मात्र न होकर नाना विषयों की शिक्षा देने वाला,लोक व्यवहार के तत्वों को उद्घाटित करने वाला एवं मानव के अन्दर से मोह एंव अज्ञान को निकाल कर उसे एक दिशा प्रदान करता है। आज जो भी जैन साहित्य उपलब्ध हैं वह महावीर के उत्तरकाल का है। जैनधर्म पूर्णतः निवृत्तिमार्गी धर्म एंव दर्शन रहा है। यही कारण है कि प्रारम्भिक जैन साहित्य के ग्रंथ अपेक्षाकृत दार्शनिक तत्वों एंव धार्मिक सिद्धान्तों का विश्लेषण करते हुए पाये जातें हैं। सर्वप्रथम आचार्य जिनसेनकृत हरिवंश पुराण में इतिहास की व्याख्या प्रस्तुत की गयी है। आदिपुराण में इति इह आसीत् यहाँ ऐसा हुआ अथवा ऐसी अनेक कथाओं का उसमें निरुपण होने से श्रृषियों ने इतिहास कहा है और यही कारण है कि लोग इसे इतिवृत्ति और ऐतिह्य भी मानते हैं / आचार्य जिनसेन द्वारा प्रतिष्ठापित इतिहास की व्याख्या पर तत्युगीन साहित्य एंव समाज में प्रचलित इतिहास विषयक विचारों का प्रभाव लक्षित होता है। कल्हण के अनुसार कल्हण से पूर्व इतिहास लेखन पर्याप्त उन्नति पर था। कल्हण अपने से पूर्व / / इतिहासकारों में पॉच के नामों का उल्लेख करते हैं / ऐसा प्रतीत होता है कि पूर्वमध्यकाल में इतिहास लेखन की परम्पराऐं प्रचलित थी और उनका निश्चित रुप से आचार्य जिनसेन पर प्रभाव पड़ा है। जैन धर्म निवृत्तिमार्गी धर्मरहा है फिर भी उसका दृष्टिकोण हमेशा समन्वयवादी रहा। आचार्य द्वारा प्रस्तुत परिभाषा के अन्तर्गत भूतकाल में घटित होने वाले वृतान्त जो आप्त हों, अपने में सत्यता एवं वास्तविकता को लिए हों, इतिहास की श्रेणी में आते हैं। आचार्य जिनसेन की परिभाषा इतनी वास्तविक एंव सत्य है कि उसे--आधुनिक परिभाषाओं के प्रकाश में भी देखा जा सकता है। आधुनिक युग में भी वास्तविक तथ्यों को अपने वास्तविक रुप में प्रस्तुत करना इतिहासकारों की प्रमुख विशेषता मानी गयी है। एक इतिहासकार को तथ्यों को प्रस्तुत करने में वैज्ञानिक की श्रेणी में लोगों ने रखने की चेष्टाएं की हैं।